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कांग्रेस ने कहा कि लोकपाल विधेयक पर व्यापक चर्चा की जरूरत है

लोकपाल विधेयक मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आमरण अनशन के दूसरे दिन कांग्रेस का सुर थोड़ा बदला नजर आया और पार्टी ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के जिहाद का सम्मान करती है.

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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे

लोकपाल विधेयक मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आमरण अनशन के दूसरे दिन कांग्रेस का सुर थोड़ा बदला नजर आया और पार्टी ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के जिहाद का सम्मान करती है.

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पार्टी प्रवक्ता जयंति नटराजन ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी को हजारे के आंदोलन में कोई खराबी नजर नहीं आती है और साथ ही कहा कि लोकपाल के मुद्दे पर राष्ट्रीय चर्चा की जरूरत है.

नटराजन ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. व्यापक आम सहमति तक पहुंचने के पहले इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है. विधेयक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा है. विधेयक पर अनेक विचार हैं और इस पर चर्चा होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मुद्दे के बारे में अत्यधिक गंभीर है. कांग्रेस हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध रही है और वह इसके लिए प्रतिबद्ध है.

नटराजन का यह रुख पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी के उस बयान से थोड़ा अलग है जिसमें पार्टी ने हजारे के आमरण अनशन को असामयिक और अनावश्यक बताया था.

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नटराजन ने कहा कि अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों ने जो सुझाव बतायें हैं उसके दूरगामी संवैधानिक प्रभाव हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कहती कि उनका रास्ता गलत है लेकिन उन्हें आगे आना चाहिए और चर्चा करनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने पहले ही एक उप समिति गठित की है जिसके समक्ष वे अपनी राय रख सकते हैं. सभी पक्षकारों को अपनी राय देनी चाहिए.’

{mospagebreak} केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री शरद पवार के संबंध में अन्ना हजारे की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर नटराजन ने यह कहते हुए कोई प्रतिक्रिया जाहिर करने से इंकार कर दिया कि मंत्री अपने बारे में बोलने के लिए खुद सक्षम हैं. हजारे ने मंत्री समूह के बारे में जो कुछ भी कहा है इस बारे में मंत्री जवाब देंगे. इस बीच कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि हजारे को आमरण अनशन के अपने रूख पर पुनर्विचार करना चाहिए और रचनात्मक बातचीत की सरकार की पेशकश को स्वीकार करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अंतत: अधिनियम का प्रस्ताव करना सरकार के उपर है और इसे मंजूरी देना संसद का काम है, और इन दोनों के बीच सिविल सोसाइटी के लिए अपने विचार देने की पर्याप्त गुंजाइश है.

उल्लेखनीय है कि 72 वर्षीय हजारे लोकपाल को व्यापक अधिकार दिए जाने के लिए सख्त भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक लाने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर हैं. वह विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए एक संयुक्त समिति गठित किए जाने पर जोर दे रहे हैं जिसमें 50 प्रतिशत सदस्य सरकारी हों और शेष सदस्य आम नागरिक और बुद्धिजीवी हों.

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केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने आज कहा कि संप्रग सरकार भ्रष्टाचार पर ‘बेहद बेहद चिंतित’ है तथा वह सभी सुझावों पर ध्यान देगी. कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि सरकार सभी सुझावों के प्रति उदार है. वह अगले सत्र में लोकपाल विधेयक पेश करने को उत्सुक है.

{mospagebreak} हजारे का आंदोलन गति पकड़ने लगा है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी तथा देश के अन्य हिस्सों में नागरिक समाज बड़ी संख्या में उनसे जुड़ने लगा.

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हजारे का अभियान मूल्यवान है तथा देखना पड़ेगा कि केन्द्र क्या कदम उठाता है.

कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए हजारे ने कहा, ‘पार्टी (कांग्रेस) का बयान लोगों को गुमराह कर रहा है. यह आंदोलन गैर जरूरी क्यों हैं और यह असामयिक क्यों हैं. 42 साल से देश को इस विधेयक की जरूरत है. सरकार इसे बना क्यों नहीं सकती.’

हजारे ने जोर देकर कहा कि जब तक सरकार लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में नागरिकों की भागीदारी के लिए सहमति नहीं जताती तब तक वह अपना आमरण अनशन समाप्त नहीं करेंगे.

कांग्रेस अपने इस रूख पर कायम है कि उनका आंदोलन असामयिक है और सरकार सभी सुझावों को स्वीकार करेगी. पार्टी प्रवक्ता जयंती नटराजन ने कहा, ‘अन्ना हजारे का अनशन असामयिक है तथा लोकतंत्र में कोई भी नीति तैयार करने से पहले चर्चा होनी चाहिए.’ इस बीच, महाराष्ट्र में विपक्षी शिवसेना और भाजपा हजारे के समर्थन में सामने आयी हैं.

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