भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन को देश के हर हिस्से में समर्थन मिला. अहिंसक आंदोलन के आगे सरकार को भी झुकने पर मजबूर होना पड़ा. देखिए आंदोलन की मुख्य घटनाएं एक नजर में...
5 अप्रैल, 2011: अन्ना हजारे ने दिल्ली के जंतर-मंतर से अनशन शुरू किया.
9 अप्रैल, 2011: सरकार के लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए संयुक्त समिति का गठन करने के फैसले के बाद हजारे ने अनशन खत्म किया.
16 अप्रैल, 2011: संयुक्त समिति की पहली बैठक.
30 मई, 2011: संयुक्त समिति की पांचवीं बैठक. सरकार ने हजारे पक्ष से कहा कि वह प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका और संसद में सांसदों के व्यावहार को लोकपाल के दायरे में लाने के लिए राजी नहीं है. इसके बाद दोनों पक्षों में मतभेद पैदा हो गए.
6 जून, 2011: हजारे पक्ष ने बैठकों का बहिष्कार किया.
21 जून, 2011: संयुक्त समिति की अंतिम बैठक.
15 अगस्त, 2011: पुलिस ने अन्ना हजारे को जेपी पार्क में अनशन करने की अनुमति नहीं दी.
16 अगस्त, 2011: अन्ना हजारे को अनशन शुरू करने के बाद पूर्वी दिल्ली से हिरासत में लेकर तिहाड़ जेल भेजा गया. सरकार ने उन्हें देर रात रिहा कर दिया, लेकिन उन्होंने जेल से जाने से इनकार कर दिया.
17 अगस्त, 2011: अन्ना हजारे ने बिना शर्त अनशन की जगह के बारे में अनुमति दिए जाने तक जेल से बाहर जाने से इनकार कर दिया.
19 अगस्त, 2011: जेल से निकल कर अन्ना हजारे ने रामलीला मैदान पर अनशन शुरू किया.
23 अगस्त, 2011: सरकार ने अन्ना हजारे पक्ष से बातचीत शुरू की.
25 अगस्त, 2011: सरकार लोकपाल विधेयक के सभी संस्करणों पर संसद में चर्चा कराने पर तैयार हुई.
27 अगस्त, 2011: संसद ने ‘संसद की भावना’ के तहत अन्ना हजारे की तीन मुख्य मांगों को लोकपाल विधेयक पर बनी स्थाई समिति को भेजने का फैसला किया.
28 अगस्त, 2011: अन्ना हजारे ने अपना अनशन तोड़ा.