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सरकार को चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत: हेगड़े

लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति के सदस्य संतोष हेगड़े ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन पर लोकप्रिय जनभावना की अनदेखी नहीं कर सकती, अन्यथा उसे ‘भारी कीमत’ चुकानी पड़ सकती है.

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संतोष हेगड़े
संतोष हेगड़े

लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति के सदस्य संतोष हेगड़े ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन पर लोकप्रिय जनभावना की अनदेखी नहीं कर सकती, अन्यथा उसे ‘भारी कीमत’ चुकानी पड़ सकती है.

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उन्होंने कहा कि किसी भी संवेदनशील सरकार को जनता की ‘भावनाओं’ पर ध्यान देना चाहिए. अन्ना हजारे को हिरासत में लिए जाने पर सरकार के बार-बार रुख बदलने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा देखिए कि 1977 में आपातकाल के बाद क्या हुआ. एक सत्तारूढ़ सरकार सत्ता खो सकती है.’

सिर्फ संसद को कानून बनाने का अधिकार होने के संबंध में प्रधानमंत्री के बयान पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हेगड़े ने कहा कि वह उस हद तक सर्वोच्च है कि सदन में बहुमत से कानून को पारित किया जा सकता है.

हेगड़े ने कहा, ‘और प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि कानून मैदान में नहीं बनाया जा सकता. कानून सत्याग्रह के जरिए नहीं बनाया जा सकता. वे जनता को गुमराह कर रहे हैं. हम कानून नहीं बना रहे हैं. हम सिर्फ सुझाव दे रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि सरकार को समझना है कि हजारे का अभियान कोई निजी एजेंडा नहीं है. यह जनहित में हैं.

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हेगड़े ने कहा कि सरकार को मंत्रिमंडल से मंजूरी पाने वाले विधेयक के साथ-साथ ‘हमारे विधेयक’ (जन लोकपाल) को भी संसद की स्थायी समिति के पास भेजना चाहिए था. हेगड़े ने कहा कि सरकारी पक्ष समाज के सदस्यों से विधेयक पर अपनी राय जाहिर करने से बचने को कह रहा है क्योंकि उसे संसद में पेश किया जा रहा है. यह सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि विधि शास्त्र में मामला विचाराधीन होने का सिद्धांत है लेकिन संसदीय कार्यवाही में इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम (विधेयक पर) तब भी चर्चा कर सकते हैं जब (संसद में) चर्चा चल रही हो. उसकी आलोचना कर सकते हैं. इसलिए हमसे मुंह बंद करने को कहना, (आप बोलने वाले कौन हैं, संसद सर्वोच्च है) यह उनकी तरफ से दुस्साहस है.’

हेगड़े ने कहा, ‘संसद द्वारा बनाए गए कानून को अदालत में चुनौती दी जा सकती है या नहीं. इसे चुनौती दी जा सकती है और इसे उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय असंवैधानिक घोषित कर सकता है. क्या तब इसका मतलब है कि संसद सर्वोच्च है. यह नहीं है.’

उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि संविधान का मसौदा संविधान सभा ने तैयार किया लेकिन यह भारत की जनता है जिसने इसे स्वीकार किया. संविधान की प्रस्तावना की शुरूआती पंक्ति ‘हम भारत के लोग से शुरू होती है.’ उन्होंने कहा, ‘यह संविधान किसी नेता ने नहीं दिया है. संविधान के तहत हमने उसे स्वीकार किया. इस संसद, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का गठन किया गया. इसलिए इन संस्थाओं का निर्माण करने वाला कौन है. इसलिए, अंतत: सही मायने में देश की जनता सर्वोच्च है और कोई नहीं.’

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हेगड़े ने कहा कि सरकार को जनता की भावनाओं को भांपना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘लोग भ्रष्टाचार से उब गए हैं.’ हेगड़े ने कहा कि अगर भारत ने व्यावहारिक तौर पर और वास्तव में भ्रष्ट उपायों से जमा किए गए धन का इस्तेमाल किया होता तो भारत दुनिया में सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति होता.’

यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्र व्यापी आंदोलन ‘भ्रष्टाचार के मुद्दे से आगे बढ़ रहा’ है और लोग सभी तरह के मुद्दों पर अपना गुस्सा प्रकट कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘ऐसा होता है. अगर आप प्रदर्शन को जारी रहने की अनुमति देंगे तो यह मूल उद्देश्य से आगे जाता है. इसलिए सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए.’

हेगड़े ने कहा कि प्रदर्शन और देश में जो माहौल दिख रहा है वह आपातकाल के दिनों की याद दिलाता है और वह हजारे के अभियान को जनता से मिल रहे समर्थन से अभिभूत हैं. हेगड़े ने कहा कि वह पहली बार सार्वजनिक मंच पर आ रहे हैं. हजारे समर्थक यहां फ्रीडम पार्क पर गत 16 अगस्त से धरना दे रहे हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे विरोध प्रदर्शन के अनियंत्रित होने की संभावना है तो हेगड़े ने कहा, ‘फिलहाल यह सिर्फ नारों के रूप में है. मैं उम्मीद करता हूं कि यह ऐसा ही रहे. यह उसके बाहर भी जा सकता है. यह संभव नहीं है. यह किसी भी दिन अचानक फूट सकता है.’

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