दिल्ली के जाकिर नगर की गली नंबर 7 में सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात करीब ढाई बजे चार मंजिला इमारत में भीषण आग लगने से 3 बच्चों समेत 6 लोगों की मौत और 16 लोगों के जख्मी होने से लोग बेहद आक्रोशित हैं. इस वजह से कई परिवार तबाह हो गए.
लोगों का आरोप है की दमकल की गाड़ियां करीब एक से डेढ़ घंटे की देरी से पहुंची, जिस वजह से रेस्क्यू में समय लगा और कई कीमती जानें चली गईं. मरने वालों में नगमा (30) उसके दो बच्चे आमना (8) और जिकरा (8), सोहा रफीक (34), अद्यान रब्बानी (6) और वसीम शामिल हैं.
मरने वालों में शामिल सोहा रफीक और अस्पताल में भर्ती उनके पति मुहम्मद उमर रफीक (30) श्रीनगर के रहने वाले हैं. उनके परिवार के पास इस घटना की कोई जानकारी नहीं पहुंच पा रही क्योंकि घाटी में संचार सुविधाओं पर रोक लगी हुई है. जब संपर्क करने का कोई साधन नहीं दिखा तो मंगलवार दोपहर में रफीक के एक दोस्त को श्रीनगर के लिए भेजा गया.
सरकार के लिए लोगों में गुस्सा
घायलों को होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल घायलों का हालचाल जानने पहुंचे. मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवार के लिए पांच लाख और घायलों के लिए दो लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की. ये अलग बात है कि लोग सरकार से बेहद गुस्से में हैं. लोगों का कहना है कि इलाके में 3 महीनों में आगजनी से मौतें होने की यह दूसरी घटना है. दिल्ली फायर सर्विस की गाड़ियां समय पर नहीं पहुंच पाती हैं. इसके लिए पुख्ता प्लानिंग और जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे जबकि लगातार हादसे सामने आ रहे हैं.
खड़ी गाड़ियों के ईंधन में आग
जिस बिल्डिंग में हादसा हुआ, वह बिल्डर द्वारा बनाए गए फ्लोर थे जिसमें ग्राउंड फ्लोर की पार्किंग में 8 से 10 गाड़ियां खड़ी थी. शुरुआती जांच में पता चला है कि आग सबसे पहले बिजली के मीटर में शार्ट सर्किट होने के कारण लगी जिस कारण वहां खड़ी गाड़ियों के ईंधन में आग लग गई. देखते ही देखते पूरी बिल्डिंग आग और धुएं की चपेट में आ गई. एग्जिट का रास्ता पार्किंग के बीच से होकर गुजरता था इसलिए कोई भी बाहर नहीं निकल पाया.
जलती गाड़ियों की वजह से पूरी बिल्डिंग में धुआं भरा
दरअसल, स्टिल्ट ग्राउंड के ऊपर बने 4 फ्लोर में तकरीबन 16 परिवार रहा करते हैं. इस पूरी बिल्डिंग में हर फ्लैट के लिए सीढ़ियां सिर्फ एक हैं जो कि स्टिल्ट पार्किंग में खुलती है लेकिन धू-धू कर जलती गाड़ियों की वजह से पूरी बिल्डिंग में धुआं भर गया और आग की लपटों की वजह से कोई भी निकल नहीं पाया. बाकी घायलों की हालत बहुत नाजुक बनी हुई है. रात के वक्त स्टिल्ट पार्किंग में ताला भी लगा दिया जाता है. कुछ लोगों को दीवार काटकर भी निकाला गया.
कुछ मौतें दम घुटने के कारण
वहां फंसे लोग दूसरी और तीसरी मंजिलों से कूदे, इस वजह से एक गर्भवती कश्मीरी महिला की भी मौत हो गई. कुछ लोग बेहद गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं. हालांकि दिल्ली फायर सर्विस का दावा है कि उनके कर्मियों ने कई लोगों को बिल्डिंग से बाहर सुरक्षित निकाला. कुछ मौतें दम घुटने के कारण हुई. स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ लोगों को बाहर निकालने के लिए बगल वाली बिल्डिंग की दीवार तोड़नी पड़ी, जिसमें काफी समय लग गया. तीसरी मंजिल से एक शव बरामद किया गया. जिस महिला की मौत हुई वह दूसरी मंजिल से कूदी थी.
रिहायशी इमारतें दिल्ली अग्निशमन विभाग के एनओसी के दायरे में नहीं
चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग का कहना है कि यह रिहायशी इमारतें दिल्ली अग्निशमन विभाग के एनओसी के दायरे में नहीं आते. यहां बिल्डर मनमाने ढंग से निर्माण करते हैं इस कारण लगातार हादसे पेश आ रहे हैं. गुस्साए लोगों का कहना है कि उन्हें मुआवजा नहीं बल्कि ऐसे हादसों पर रोक लगनी चाहिए. दिल्ली फायर सर्विस आज भी घिसे-पिटे तरीके से काम कर रही है. उनके पास रोड मैप नहीं है. हाल यह है कि आग किसी भी वजह से लगे, सिर्फ पानी की बौछार मारी जाती है. जाकिर नगर हादसे में भी यही हुआ, इस कारण आग कंट्रोल में नहीं आती.