फिल्म 'मांझी' को वो दृश्य तो आपको याद ही होगा, जब दर्द से तड़पति अपनी पत्नी फगुनिया को लेकर दशरथ मांझी पहाड़ी से रास्ते अस्पताल जाता है. लेकिन सड़क नहीं होने की वजह से वह अस्पताल देर से पहुंचता है और उसकी पत्नी की मौत हो जाती है. रील पर दिखाई गई बिहार के गया के रहने वाले दशरथ मांझी की पत्नी फाल्गुनी देवी की कहानी यूपी के चित्रकूट की शांती देवी के साथ रियल में घटी.
सुविधाओं के अभाव में हुई इस दर्दनाक घटना में अंतर सिर्फ इतना था कि इसमें मां की नहीं बल्कि उसके अजन्मे बच्चे की मौत हो गई. जी हां, बीते मंगलवार की रात नौ माह की गर्भवती शान्ति देवी को अचानक दर्द उठने पर एम्बुलेंस बुलाई गई. घंटों बीत जाने के बाद भी जब एम्बुलेंस नहीं पहुंची, तो घर के कुछ लोग उस विकलांग महिला को साइकिल पर लादकर अस्पताल की तरफ भागे. गांव से अस्पताल की दूरी 20 किमी है.
अभी वो लोग कुछ ही दूर पहुंचे थे कि पगडंडी से गुजरते हुए साइकिल खेत में पलट गई. पहले से ही दर्द से बेजार मां के गर्भ में चोट लगने से एक मासूम की इस दुनिया में आने से पहले ही मौत हो गई. इस दौरान गांव की स्वास्थ्य कार्यकर्ता 'आशाबहू' का भी कहीं कोई पता नहीं था. गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक फ्री मेडिकल मदद देने का दावा करने वाले यूपी स्वास्थ महकमें की भी कलई खुल गई.
चित्रकूट के भोलायादव पुरवा गांव की पीड़ित महिला शांति देवी ने बताया कि अस्पताल पहुंचने के लिए भरतकूप-फतेहगंज रोड से 20 किमी पैदल आना पड़ता है. 600 की आबादी वाले इस गांव तक आने के लिए कोई सड़क नहीं है. रास्ता भी ऐसा कि एक साइकिल भी भगवान भरोसे निकल पाए. कौलहां के जंगलों में बसा यह गांव आजादी के इतने साल बाद भी मांझी के गहलोर गांव की बरबस याद दिलाता है.