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गौरी लंकेश हत्याकांड का एक सालः नहीं रुके पत्रकारों पर हमले

इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

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गौरी लंकेश की हत्या के मामले में अभी तक दस लोग पकड़े जा चुके हैं
गौरी लंकेश की हत्या के मामले में अभी तक दस लोग पकड़े जा चुके हैं

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वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को एक वर्ष बीत चुका है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है. लगभग 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. लंकेश की हत्या के पीछे कई मास्टरमाइंड हैं. लंकेश की हत्या के बाद उभरा राष्ट्रव्यापी जनाक्रोश भी हालात बदलने में नाकाम रहा. क्योंकि अभी भी देशभर में पत्रकारों पर हमले और धमकियां जारी है.

दुनिया भर में बोलने की स्वतंत्रता पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत में प्रेस की बिगड़ती आजादी को भी उजागर किया गया था. प्रेस मीडिया की आजादी के संबंध में भारत की रैंक 2017 में 136 थी. जो दो स्थान गिरकर 2018 में 138 हो गई. रिपोर्ट में भारत को पत्रकारों के लिए काम करने की सबसे खतरनाक जगह माना गया है.

इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले चार वर्षों में पत्रकारों पर हमले के लिए 140 लोगों के खिलाफ 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कि बीते कुछ महिनों में पत्रकारों पर प्रमुख हमलों के बारे में-

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श्रीनगर में शुजात बुखारी की हत्या

राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी को 14 जून को उनके कार्यालय के बाहर गोली मार दी गई थी. पुलिस ने कहा कि हमलावरों ने मौके से भागने से पहले कम से कम 15 गोलियां चलाईं थीं. बुखारी कश्मीर की एक सम्मानित आवाज थी. उन्हें पहले भी कई बार जान से मारने की धमकी मिली थी. बुखारी पर हमले की राष्ट्रव्यापी निंदा की गई थी. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी उनकी हत्या को व्यापक रूप से कवर किया था. बुखारी कश्मीर में अपनी निडर पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे.

MP में पत्रकार संदीप शर्मा को ट्रक से कुचला

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक ट्रक ने पत्रकार संदीप शर्मा को कुचल दिया था. 25 वर्षीय कुमार अवैध खनन के बारे में रिपोर्टिंग कर रहे थे. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने अवैध खनन में पुलिस की कथित भागीदारी के बारे में लिखा था. शर्मा इस हमले में बुरी तरह घायल हो गए थे.

बिहार में SUV ने 2 पत्रकारों को कुचला

बिहार के भोजपुर जिले में एक कार ने मोटरसाइकिल पर सवार पत्रकार नवीन निशचल और विजय सिंह को टक्कर मार कर उड़ा दिया था. इस घटना में दोनों पत्रकारों की मौत हो गई थी. वे दोनों हिंदी समाचार पत्र दैनिक भास्कर के साथ काम करते थे. उनके परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया था कि उनकी हत्या गांव के पूर्व सरपंच ने कराई थी.

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शिलांग टाइम्स के संपादक पर फेंका था पेट्रोल बम

इसी साल अप्रैल में शिलांग टाइम्स के संपादक पेट्रीसिया मुखिम के घर पर पेट्रोल बम से हमला किया गया था. हालांकि इस हमले में मुखीम बाल बाल बच गए थे, लेकिन मेघालय में अंग्रेजी दैनिक के संपादक पर हमला ने इस बात को उजागर किया था कि पत्रकारों की जान कितनी खतरे में है. मुखिम मेघालय में अवैध खनन और दूसरों कारणों से होने वाली पर्यावरणीय क्षति के बारे में लगातार लिख रहे हैं.

असम पुलिस ने महिला पत्रकार को पीटा

पूर्वोत्तर की एक महिला पत्रकार एम्मी सी लॉवबी को पुलिस ने बेरहमी से पीटा था. वह इस साल मई में असम-मिजोरम सीमा पर व्याप्त तनाव के बारे में रिपोर्ट कर रही थीं. उनकी पीठ और कंधे पर गंभीर चोटें आई थीं. लॉवबी ने घटना के बाद अपने पहले बयान में बताया था कि पुलिस ने उसे लाठियों से पीटती रही, जबकि उसने कई बार उन्हें बार-बार अपना प्रेस कार्ड दिखाया था. लॉवबी ने पुलिस को बताया भी था कि वह एक पत्रकार है.

गाजियाबाद में पत्रकार को मारी गोली

इसी साल 8 अप्रैल को गाजियाबाद में अपने घर में बैठे टीवी पत्रकार अनुज चौधरी पर कुछ हमलावरों ने हमला कर दिया था. पुलिस ने बताया था कि हमलावरों ने उस पर छह गोलियां चलाई थीं. जिनमें से चार गोली चौधरी को लगी थी. दो गोली उसके पेट में लगी थी जबकि दो दाएं हाथ में. आरोप है कि कुछ स्थानीय नेताओं ने अनुज पर हमला कराया था.

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त्रिपुरा में दो पत्रकार की हत्या

बेंगलुरू में गौरी लंकेश की हत्या के कुछ दिन बाद त्रिपुरा में दो पत्रकार की हत्या कर दी गई थी. पहला शांतनु भौमिक थे, जो स्थानीय समाचार चैनल दिन-रात के संवाददाता थे. 20 सितंबर, 2017 को उनका कत्ल कर दिया गया था. स्वदेशी पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के आंदोलन की रिपोर्टिंग करते वक्त उन पर हमला किया गया था. उनकी हत्या के दो महीने बाद, त्रिपुरा के एक अन्य पत्रकार सुदीप दत्ता भौमिक को अगरतला के पास सुरक्षा कर्मियों ने गोली मार दी थी. भौमिक बंगाली समाचार पत्र के साथ काम करते थे.

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