बहुचर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है. तलवार दंपति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. 26 नवंबर, 2013 को उनको सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तलवार दंपति इस समय गाजियाबाद के डासना जेल में सजा काट रहे हैं.
सीबीआई कोर्ट ने निम्नलिखित आधार पर तलवार दंपति को सुनाई थी उम्रकैद
सीबीआई कोर्ट- घर में सिर्फ चार लोग थे. घर का दरवाजा भी अंदर से लॉक था.
तलवार- दरवाजे पर ऑटोमैटिक लॉक था. जो बाहर और अंदर से बंद किया जा सकता है.
सीबीआई कोर्ट- आरुषि के कमरे की चाभी डॉ. राजेश के पास रहती थी. फिर कोई अंदर कैसे जा सकता है?
तलवार- नूपुर ने बयान में बताया था कि वह इंटरनेट का राउटर खोलने के लिए आरुषि के कमरे में गई थी. इसी दौरान आरुषि के कमरे की चाभी लॉक में फंसी रह गई.
सीबीआई कोर्ट- सभी सो रहे थे तो घर का राउटर बार बार ऑन-ऑफ कैसे हो रहा था?
तलवार- जब यूपी पुलिस घर में थी, तब भी राउटर अपने आप ऑन-ऑफ हो रहा था.
सीबीआई कोर्ट- आरुषि की मौत के बाद उसके माता-पिता ने उसे गले नहीं लगाया. तलवार दंपति के कपड़ों में खून का धब्बा भी नहीं था.
तलवार- आरुषि का गला कटा हुआ था. ऐसे में राजेश और नूपुर अपनी बेटी को गले कैसे लगा सकते थे?
सीबीआई कोर्ट- सीढियों की चाभी तलवार दंपति ने पहले दिन पुलिस को क्यों नहीं दी?
तलवार- छत के दरवाजे की चाभी हेमराज के पास ही रहती थी. पुलिस ने चाभी का इंतजार क्यों किया? उसने छत में लगा छोटा सा ताला तोड़ क्यों नहीं दिया?
सीबीआई कोर्ट- हत्या के बाद शराब पी गई. शराब की बोतल पर खून के निशान थे.
तलवार- जांच में बोतल के मुंह से डॉ. राजेश का डीएनए नहीं मिला. नौकर के कमरे से बीयर, वाइन और विस्की की बोतले पाई गईं. इन बोतलों में खून के धब्बे पाए गए. क्या यह संभव है कि एक शख्स बीयर, वाइन और विस्की का एक साथ सेवन करे.
सीबीआई कोर्ट- हेमराज की लाश को खींचकर छत पर ले जाया गया.
तलवार- यह भी हो सकता है कि हेमराज को छत पर ले जाकर मारा गया हो. यदि हेमराज को उसी कमरे में मारा गया होता तो तकिया, बेड शीट और कालीन पर हेमराज के खून के निशान क्यों नहीं मिले. क्या राजेश और नूपुर के लिए संभव था कि वह बेडशीट, तकिया और कालीन से हेमराज-आरुषि के खून को अलग-अलग कर सकते थे.