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फिर जिंदा हुआ 9 साल पुराना सवाल, आरुषि-हेमराज को किसने मारा?

चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तलवार दंपति ने आरुषि को नहीं मारा. अदालत के फैसले ने तो तलवार दंपति को राहत दे दी. लेकिन फिर से सवाल उठ रहा है कि आखिर आरुषि और हेमराज का कत्ल किसने किया?

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अब फिर से सवाल उठ रहा है कि आरुषि-हेमराज का कातिल कौन है
अब फिर से सवाल उठ रहा है कि आरुषि-हेमराज का कातिल कौन है

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चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि तलवार दंपति ने आरुषि को नहीं मारा. अदालत के फैसले ने तो तलवार दंपति को राहत दे दी. लेकिन फिर से सवाल उठ रहा है कि आखिर आरुषि और हेमराज का कत्ल किसने किया?

गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने इस मामले पर लंबी सुनवाई करने बाद 26 नवंबर, 2013 के दिन तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसके बाद के उन्होंने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी. तलवार दंपति इस समय गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं.

हाईकोर्ट के फैसले ने सीबीआई की जांच पर ही सवाल उठाए हैं. यहां तक कि जज ने फैसला सुनाने से पहले जांच की खामियों का जिक्र भी किया. कोर्ट की नजर से देखें तो सीबीआई अपनी जांच में विफल रही. न तो सीबीआई के पास व्यापाक स्तर पर सबूत थे और न ही गवाह.

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ऐसे में अदालत ने तलवार दंपति को लाभ देते हुए आरोप से ही बरी कर दिया. हालांकि सीबीआई ने कोर्ट में इस हत्याकांड की दलील देते हुए कहा था कि तलवार दंपति ने आरुषि को नौकर के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था और उसी के बाद यह खौफनाक कदम उठाया था.

सीबीआई कोर्ट ने जांच करने वाली टीम की दलीलें मान ली थीं. उसी के बाद डा. राजेश और नूपुर तलवार को हत्या का दोषी करार दिया गया था. बाद में फैसला सुनाते हुए सीबीआई कोर्ट ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तब लग रहा था कि मामला अब साफ है. लेकिन जांच में कुछ सवालों के जवाब मिलना बाकी था.

ये वही सवाल थे जो अब हाईकोर्ट में तलवार दंपति के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हुए. सबूतों की कमी और गवाहों की कमजोरी ने हाईकोर्ट के सामने सीबीआई की सारी दलीलें नाकाम कर दीं.

15-16 मई, 2008 की दरमियानी रात को आरुषि की लाश उसके बिस्तर पर मिली थी. इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला क्रिसी क्राइम थ्रिलर फिल्म में तब्दील हो गया. इसमें अगले पल क्या होगा ये किसी को पता नहीं था. यूपी पुलिस मामले की जांच करती रही लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

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बाद में जांच सीबीआई के हवाले की गई थी. लोगों को उम्मीद थी कि आरुषि की हत्या का राज सीबीआई ज़रूर बेनकाब कर देगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. यह मर्डर इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया गया कि सोचना भी मुश्किल था कि आखिर कातिल कौन है.

हालांकि जब कत्ल हुआ तो शक घर के नौकर हेमराज पर किया गया. लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला और ज्यागा उलझ गया. 45 वर्षीय यम प्रसाद बंजाडे उर्फ हेमराज तलवार दंपति का वफादार घरेलू नौकर था. उन्हीं के साथ रहता था. घर की चाबियां उसी के पास होती थीं. वह शराब नहीं पीता था. उसका परिवार नेपाल में रहता था.

पुलिस हमेशा की तरह बड़े-बड़े दावे करती रही कि लेकिन हासिल कुछ नहीं कर सकी. यहां तक कि यूपी पुलिस ने सीबीआई जांच से पहले इस मामले को ऑनर किलिंग बताया था. उस वक्त सनसनीखेज तरीके से नोएडा पुलिस ने दावा किया था कि आरुषि-हेमराज का कातिल कोई और नहीं बल्कि उसके पिता डॉक्टर राजेश तलवार हैं. इस थ्योरी के पीछे पुलिस ने ऑनर किलिंग की दलील रखी.

23 मई, 2008 को पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन तब तक मामले में इतने मोड़ आ चुके थे कि मर्डर का ये मामला एक ब्लाइंड केस बन चुका था. मामला सुर्खियों में था, लिहाजा यूपी सरकार ने 31 मई, 2008 को आरुषि-हेमराज मर्डर केस की जांच सीबीआई के हवाले कर दी थी.

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कत्ल के आरोप में डॉक्टर राजेश तलवार सलाखों के पीछे थे. आरुषि मर्डर केस देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ था. इस दौरान तलवार का नार्को टेस्ट हुआ. शक की सुई तब तक तलवार से हटकर उनके नौकरों और कंपाउंडर तक पहुंच गई थी. तलवार परिवार के करीबी दुर्रानी परिवार के एक नौकर राजकुमार को भी गिरफ्तार किया गया था.

वर्ष 2010 में दो साल बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. सुनवाई चलती रही और फिर शक की सुई आरोपों की शक्ल में एक बार फिर तलवार दंपति पर जाकर टिक गई थी. गाजियाबाद कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को सबूत मिटाने का दोषी पाया था. दोनों के खिलाफ आरुषि-हेमराज मर्डर केस में शामिल होने के आरोप तय किए गए थे.

मगर अब हाईकोर्ट ने 9 साल बाद इस डबल मर्डर केस में तलवार दंपति बरी कर दिया. नतीजा ये कि 9 साल बाद फिर से वही सवाल सामने आ गया है कि आखिर आरुषि और हेमराज का कत्ल किसने किया था. कौन है दोनों का कातिल? इस सवाल का जवाब अभी मिलना बाकी है.

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