आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को आरुषि के माता-पिता राजेश और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा दी थी. मगर वो शुक्रवार को रिहा नहीं हो पाएंगी.
तलवार दंपति के वकील तनवीर मीर ने जानकारी देते हुए बताया कि आज दोनों लोग जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि जेल को फैसले की कॉपी नहीं मिली है. गौरतलब है कि जब तक फैसले की कॉपी नहीं मिलेगी तब तक रिहाई नहीं हो सकती है. क्योंकि शनिवार, रविवार को छुट्टी है, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों की रिहाई सोमवार को ही हो पाएगी.
#FLASH Rajesh & Nupur Talwar not to be released from Dasna jail today, lawyer of the Talwars' Tanvir Mir Ahmed tells ANI #AarushiMurderCase pic.twitter.com/n4mc8j4INT
— ANI (@ANI) October 13, 2017
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर सख्त टिप्पणी की और सबूतों के अभाव में तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया. डासना जेल के जेल सुप्रिडेंडेट दधिराम ने बताया कि अभी तक उनके पास कोर्ट ऑर्डर की कॉपी नहीं पहुंची है. जब ऑर्डर की कॉपी मिलेगी वह तभी आगे की कार्रवाई करेंगे.
खाई पूड़ी-सब्जी
फैसला आने के बाद तलवार दंपत्ति काफी खुश नज़र आए. गुरुवार रात को दोनों ने पूड़ी-सब्जी खाई. और शुक्रवार सुबह चाय-दलिया का नाश्ता किया. दोनों रात को सो नहीं पाए, बस टहलते रहे. जेल स्टाफ का कहना है कि तलवार दंपति फैसले के बाद काफी खुश नज़र आ रहे थे. यहां तक कि जेल के कैदी भी खुश हैं.
फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच में कई खामियों का जिक्र किया और कहा कि कई सबूतों का ना तो पड़ताल की गई और ना ही साक्ष्यों को वेरिफाई करने की कोशिश की गई और एक एंगल पर काम कर सीधे दोषी मान लिया गया. हाईकोर्ट ने विशेष सीबीआई ट्रायल कोर्ट के जजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे फिल्म डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे हैं.
फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी बातें...
- दो पक्ष हो सकते हैं. एक अपीलकर्ता के अपराध की ओर इशारा करता है दूसरा मासूमियत की तरफ.
- संदेह कितना भी गहरा हो, लेकिन सबूतों की जगह नहीं ले सकता है.
- अनुमान को हकीकत का रूप नहीं देना चाहिए, फैसले में पारदर्शिता जरूरी है.
- सीबीआई कोई भी ऐसा सबूत ढूंढने में नाकाम रही जो यह साबित कर सके कि हेमराज का कत्ल आरुषि के बेडरुम में ही हुआ था और उसकी लाश को बेड शीट में बांध कर छत पर ले जाया गया.
- एक गणित के टीचर के तौर पर काम नहीं किया जा सकता है, जो कि कुछ निश्चित आकृति के आधार पर सवाल को हल कर रहा हो.
- ट्रायल में एक फिल्म डायरेक्टर की तरह बिखरे हुए सबूतों को समेटने की कोशिश की गई. लेकिन तथ्यों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
न्यायमूर्ति बी. के. नारायण और न्यायमूर्ति ए. के. मिश्र की युगलपीठ ने आरुषि तलवार और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या के मामले में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत के निर्णय के खिलाफ तलवार दंपति की अपील स्वीकार करते हुए उक्त आदेश पारित किया.
हाई कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई को बड़ा झटका लगा है. सीबीआई का कहना है कि उसे अभी फैसले की कॉपी नहीं मिली है. फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद आगे सुप्रीम कोर्ट में अपील के बारे में विचार किया जाएगा.
विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में तलवार दंपति को 26 नवंबर, 2013 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अदालत ने कहा कि परिस्थितियों और रिकार्ड में दर्ज साक्ष्यों के मुताबिक तलवार दंपति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. इस तरह से उसने तलवार दंपति को सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया.