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नाभा जेल कांडः तो इस तरह बदमाशों ने दिया था वारदात को अंजाम

पहले भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी आतंकियों के फरार होने और फिर नाभा जेल कांड से खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के सरगना मिंटू समेत 6 खूंखार अपराधियों के भाग निकलने की वारदात ने देश में जेलों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हुए पुलिस प्रशासन की पोल खोल दी थी. हाई सिक्योरिटी कही जाने वाली नाभा जेल ब्रेक की साजिश से लेकर जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड के खुलासे तक की इनसाइड स्टोरीः

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नाभा जेल
नाभा जेल

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पहले भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी आतंकियों के फरार होने और फिर नाभा जेल कांड से खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के सरगना मिंटू समेत 6 खूंखार अपराधियों के भाग निकलने की वारदात ने देश में जेलों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हुए पुलिस प्रशासन की पोल खोल दी थी. हाई सिक्योरिटी कही जाने वाली नाभा जेल ब्रेक की साजिश से लेकर जेल ब्रेक के मास्टरमाइंड के खुलासे तक की इनसाइड स्टोरीः

नाभा जेल में 12 बदमाश 12 मिनट में पूरी वारदात को अंजाम दे गए. दरअसल नाभा जेल में तीन दरवाजे हैं. जेल की शुरुआत में एक मेन गेट है. उसके आगे थोड़ी दूरी पर एक और गेट है, जिसमें जेल विभाग का दफ्तर बना हुआ है. कैदियों की शिनाख्त भी इसी गेट के अंदर होती है. फिर उससे आगे एक और गेट है जो जेल के अंदर जाकर खुलता है. 27 नवंबर की सुबह सारा खेल अंदर के दो गेटों के बीच सिर्फ 12 मिनट में खेल दिया गया था.

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27 नवंबर की सुबह 9 बजे पर मुख्य गेट पर दो गाड़ियां आकर रूकती हैं, जिनमें पुलिस की वर्दी में लोग बैठे हैं. गेट का संतरी दरवाजा खोल देता है. दो लोग गाड़ियों से उतरते हैं, उनमें से एक संतरी को काबू करता है और दूसरा गेट पर बने मोर्चे पर चढ़कर दूसरे जवान को काबू में कर लेता है. इसी दौरान वहां दूसरे गेट पर तैनात संतरी को काबू कर लिया जाता है और दोनों गेटों के मध्य में पहले से ही तैयार आतंकियों और गैंगस्टरों को पहले गेट के एंटर होने के साथ ही मैसेज दे दिया जाता है.

पिस्टल से फायर कर तोड़ा था जेल का ताला
आतंकी मिंटू और दूसरे कैदी तैयार हो जाते हैं. दोनों दरवाजों के बीच वाली जगह को डीओडी कहते है. यहां पर मुंशी, दरबान और समन काटने वाले पुलिसकर्मी बैठते हैं. बदमाश सभी को अपने काबू में कर लेते हैं. तब तक बीच वाले गेट पर बदमाशों की गाड़ियां पहुंच चुकी थी. वह लोग गेट के नीचे से पिस्टल फेंक देते हैं और अंदर मौजूद कैदी उसी पिस्टल से फायर कर ताला तोड़ देते हैं. 6 लोग सिर्फ मिनटों में जेल ब्रेक की साजिश में कामयाब हो जाते हैं और वहां से फरार हो जाते हैं.

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फार्च्यूनर गाड़ी में 8 लोग हुए थे सवार
चश्मदीदों के मुताबिक, वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाशों की फार्च्यूनर गाड़ी में 8 लोग सवार होते हैं. गुरप्रीत सेखों ने पूछताछ में बताया कि जेल में बंद साथी कैदियों को एक रात पहले बताया गया था कि अगली सुबह वह लोग जेल पर हमला बोलने वाले हैं. बता दें कि इन बदमाशों ने तीन महीने पहले भी नीटा देओल, गौंडर और सेखों को छुड़ाने लिए फिरोजपुर में कोशिश की थी, जिसमें पुलिस की भारी सुरक्षा के कारण वह कामयाब नहीं हो सके. इस बार जेल ब्रेक की सारी साजिश गैंगस्टर पलविंदर पिंदा ने वारदात से एक हफ्ते पहले देहरादून में रची थी.

मिंटू को लेकर हुई थी बदमाशों के बीच बहस
पुलिस की वर्दी में आए हर बदमाश के पास दो-दो पिस्टल और पर्याप्त गोलियां थी. इनमें से 6 लोग अमृतसर से, 2 होशियारपुर से, 2 चंडीगढ़ से और 2 लोग फिरोजपुर से आए थे. बदमाशों ने एक रात पहले मोगा जिले के गांव मांगेवाल में जेल ब्रेक का ब्लूप्रिंट तैयार किया था. गुरप्रीत सेखों की माने तो इनका प्लान अमनदीप ढोटिया ,विक्की गौंडर, गुरप्रीत सेखों और नीटा देओल को छुड़वाने का था. मिंटू और एक अन्य आतंकी के साथ में आने की वजह से इनकी आपस में बहस भी हो गई थी.

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गांवों के रास्ते से भागे थे बदमाश
वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश नाभा क्रॉस करके गांवों के रास्तों से होते हुए सामना, डकाला, कैथल और फिर हरियाणा की सीमा में दाखिल हुए, जहां से सभी अलग-अलग हो गए. पुलिस ने मामले की जांच के दौरान मांगेवाल निवासी गोपी के घर से दो पिस्टल और 3 कारों को बरामद किया है. वारदात वाले दिन ही पुलिस ने गैंगस्टर पलविंदर पिंदा को यूपी के शामली से गिरफ्तार कर लिया था. वहीं एक दिन बाद खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के चीफ मिंटू को पुलिस ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था.

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