असम पुलिस के एडीजीपी आर. चंद्रनाथन पर अदालत के आदेश के बाद आपराधिक मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. एडीजीपी पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस विभाग के एक अधिकारी को मिलने वाले वीरता पदक की तीन बार की गई सिफारिशों में जान-बूझकर रोड़ा अटकाया.
असम पुलिस के एडीजीपी आर. चंद्रनाथन पर सिलचर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया हैं. एडीजीपी चंद्रनाथन पर आरोप है कि उन्होंने आईजी अनुराग अग्रवाल के वीरता पदक की तीन-तीन बार की गई सिफारिशों में बेबुनियाद और गलत बयानबाजी की.
इसी वजह से शौर्य का प्रदर्शन करने के बावजूद 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग अग्रवाल को वीरता पदक नहीं मिल पाया. बता दें कि इस मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने विजिलेंस जांच के भी आदेश दिए थे. जांच में आईजी अनुराग अग्रवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे.
तकरीबन चार साल लंबी चली आ रही इस खींचतान के बाद आखिरकार अदालत के आदेश पर एडीजीपी चंद्रनाथन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. एडीजीपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
गौरतलब है कि विजिलेंस जांच रिपोर्ट आने के बाद साल 2012 में ही चंद्रनाथन के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए गए थे, मगर मामला पुलिस के मुखिया से जुड़ा होने की वजह से विभाग अपने आका के खिलाफ कार्रवाई करने से बचता रहा.
चार साल बाद यानी साल 2016 में अब जाकर अदालत के आदेश के बाद एडीजीपी चंद्रनाथन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस ने मुकदमा दर्ज होते ही फौरन मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है.