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दिल्लीः एक मासूम बच्चा जिसके थे 2-2 मां-बाप

दिल्ली में एक 11 साल का मासूम अजीब उलझन में है. उसके सामने एक ऐसे राज से पर्दा उठा कि अचानक वो मासूम अपने उन माता-पिता से दूर हो गया, जिन्होंने लगभग 10 साल से उसका पालन-पोषण किया था. अब उसके सामने वो लोग खड़े थे, जो खुद को उसके असली माता-पिता बता रहे थे.

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11 साल बाद अपने असली माता-पिता से मिला मासूम
11 साल बाद अपने असली माता-पिता से मिला मासूम

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दिल्ली में एक 11 साल का मासूम अजीब उलझन में है. उसके सामने एक ऐसे राज से पर्दा उठा कि अचानक वो मासूम अपने उन माता-पिता से दूर हो गया, जिन्होंने लगभग 10 साल से उसका पालन-पोषण किया था. अब उसके सामने वो लोग खड़े थे, जो खुद को उसके असली माता-पिता बता रहे थे.

रिश्तों के बदलने की ये तस्वीर दिल्ली के सीलमपुर की है. साल 2007, सीलमपुर की रहने वाली फरीदा खुद के इलाज के लिए अस्पताल आईं हुई थीं. फरीदा के साथ उनकी गोद में डेढ़ साल का मासूम शबाव भी था. अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ थी इसलिए फरीदा ने कुछ देर के लिए अपने बेटे को पास ही रखी एक टेबल पर सुला दिया. लेकिन अगले ही पल जो होने वाला था फरीदा उससे पूरी तरह अंजान थी.

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फरीदा की नजर जब कुछ देर बाद टेबल पर पड़ी तो उसका बेटा टेबल से गायब था. फरीदा के होश उड़ जाते है. घबराई फरीदा शबाव को इधर-उधर तलाशती है लेकिन उसका कुछ पता नहीं चलता. शबाव अगवा हो चुका था. पुलिस शबाव की किडनैपिंग का मामला दर्ज करती है. शबाव के माता-पिता अपने मासूम के फोटो लगे इश्तेहार लेकर उसे तलाशने के लिए सड़कों की खाक छानने निकल पड़ते हैं.

राह ताकते बीत चुके थे दस साल
शबाव की राह ताकते हुए अब दस साल बीत चुके थे, लेकिन शबाव अब भी अपने माता-पिता की नजरों से ओझल था. दिल्ली की शायद ही कोई ऐसी जगह हो, जो उसके मां-बाप ने उसकी तलाश में न देखी हो. परेशान मां-बाप तमाम मंदिर-मस्जिद गए, हर बार ऊपर वाले की दर पर बेटे के मिल जाने की फरियाद लगाते. हर रोज मां-बाप शबाव की एक तस्वीर लेकर इस उम्मीद में घर से निकलते कि भूले-भटके ही सही, कहीं तो उनका लख्ते-जिगर उन्हें मिल जाए.

एल्बम की एक तस्वीर ने खोल दिया राज
मगर दिन गुजरने के साथ ही हर उम्मीद दम तोड़ देती थी. उनका मानना था कि ऊपर वाले के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं. हुआ भी कुछ ऐसा ही जिसके बारे में शबाव के मां-बाप ने कभी सोचा भी नहीं था. इसी साल मई में फरीदा की एक शादी के एल्बम पर नजर पड़ी तो वह चौंक पड़ी. अगले ही पल आंखों में आंसू लिए फरीदा ने अपने पति को जो बताया वो हैरान कर देने वाला था. दरअसल उस एल्बम में एक तस्वीर शबाव की भी थी.

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शबाव अब समीर बन चुका था
मां-बाप ने फौरन इसकी जानकारी पुलिस को दी. पुलिस उस तस्वीर के जरिए उस घर तक पहुंच गई जहां शबाव किसी दूसरे नाम से जाना जाता था. शबाव का नाम बदल चुका था. अब वह समीर के नाम से जाना जाता था. वहीं पुलिस इस बात की तस्दीक करना चाहती थी कि समीर ही शबाव है, क्योंकि बच्चा अब तकरीबन 11 साल का हो चुका था. उसकी शक्ल और सूरत बदल चुकी थी. पुलिस को छानबीन में पता चला कि समीर सीलमपुर के एमसीडी स्कूल में पढ़ रहा है.

सख्ती से पूछताछ में टूट गए समीर के मां-बाप
फरीदा और उसके पति पुलिस को बता चुके थे कि समीर ही उनका बेटा शबाव है. जिसके बाद पुलिस ने समीर के माता-पिता नर्गिस और शमीम को कब्जे में लेकर सख्ती से पूछताछ की. पूछताछ में वह टूट गए और उन्होंने जो खुलासा किया उसे सुनकर सभी दंग रह गए. दोनों आरोपी पति-पत्नी एक ऐसे जुर्म के मुजरिम थे जिसने रिश्तों को तो शर्मसार किया ही था बल्कि अपने सुख और औलाद की चाहत में एक मां-बाप को दस साल उनके कलेजे के टुकड़े से दूर रखा.

बे-औलाद थे इसलिए किया था ये जुर्म
नर्गिस और शमीम अपना गुनाह कुबूल कर चुके थे. उन्होंने बताया कि उन्हें कोई औलाद नहीं है. औलाद की चाह में ही उन्होंने इस गुनाह को अंजाम दिया था. फिलहाल दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस पूरे वाक्ये के बाद मासूम शबाव अजीब उलझन में है. वह समझ नहीं पा रहा है कि वो अब किसे अब्बू-अम्मी कहेगा, क्योंकि जो अब तक उसे अपनी पलकों पर बिठाए रखते थे, उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते थे, वो अब्बू-अम्मी अब सलाखों के पीछे खड़े थे. बहरहाल फरीदा और उसके पति अपने बेटे शबाव को पाकर बेहद खुश हैं. जल्द हूी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद शबाव अपने असली माता-पिता के साथ होगा.

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