सांप्रदायिक तनाव का कारण बनते जा रहे आगरा गैंगरेप कांड में एक नाटकीय मोड़ तब आ गया, जब आगरा पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज का हवाला देते हुए पीड़ित युवती का अभियुक्त द्वारा अपहरण किये जाने के आरोप को गलत साबित करते हुए यह बताया कि पीड़िता खुद ही अभियुक्त से मिलने धौलपुर गयी थी.
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने बताया कि पीड़िता खुद ही अभियुक्त ताहिर उर्फ जोंनी के बुलाने पर उससे मिलने धौलपुर गयी थी, जहां आरोप है कि जोंनी ने अपने 8-10 दोस्तों के साथ मिलकर पीड़िता का गैंगरेप किया और फिर उसके परिजनों को यह कहकर बुलाया कि पीड़िता का एक्सीडेंट हो गया है. धौलपुर के रास्ते में पड़ने वाले सीसीटीवी कैमरों की जांच पर पता चला कि थाना सदर और सैयां टोल बूथ पर लगे कैमरों में पीड़िता अकेली अपने स्कूटर पर धौलपुर की ओर जाती हुई दिखाई दी है, जिससे साबित होता है कि पीड़िता को आगरा से अपहृत करके धौलपुर नहीं ले जाया गया था.
घटना को सांप्रदायिक रंग ना देने की अपील
हालांकि गैंगरेप हुआ है या नहीं, इसकी पुष्टि पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने बयान और मेडिकल टेस्ट के बाद ही हो सकेगी. फिलहाल अभियुक्त को अपहरण और बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. आगरा के पुलिस महानिरीक्षक राजा श्रीवास्तव ने अपील की है कि इस आपराधिक घटना को सांप्रदायिक रंग ना दिया जाए. पुलिस अपना काम कर रही है और जो भी अभियुक्त होगा, उसको जल्दी ही गिरफ्त में ले लिया जाएगा.
'जुर्म का कोई संप्रदाय नहीं होता'
भातीय मुस्लिम विकास परिषद् के अध्यक्ष समी आगाई का कहना था कि जुर्म का संप्रदाय नहीं होता, अगर कोई दोषी है तो वो किसी भी संप्रदाय का हो, उसको सजा होनी चाहिए और इसमें कोई देरी या ढील नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने से प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों में कोई कमी नहीं आएगी. आवश्यकता इस बात की है कि सभी संप्रदाय एकजुट होकर उत्तर प्रदेश और भारत को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाएं.
'ऐसी सजा मिले कि उम्र भर पछताए दोषी'
वरिष्ठ बीजेपी नेत्री और पूर्व आगरा मेयर बेबीरानी मौर्य का कहना था कि पुलिस की कार्रवाई थोड़ी ढीली चल रही है क्योंकि पीड़िता का मेडिकल करने में अनावश्यक देरी हो रही है. उनका कहना था कि इस प्रकार के अपराधियों को मृत्युदंड देने की मांग बेमानी है क्योंकि असली मकसद अपराधी को उम्र भर उसके अपराध पर पछतावा करवाने का होता है और ऐसा तभी संभव है जब उसको ताउम्र जेल में रखे जाने का आदेश देकर न्यायालय एक नजीर स्थापित करे.