दिल्ली की अदालत ने गुरुवार को आईटी कर्मचारी जिगिशा घोष हत्या मामले में तीन लोगों को दोषी करार दिया है. जिगिशा की 2009 में हत्या कर दी गई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा कि तीनों अभियुक्त रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत सिंह मलिक के खिलाफ मामला साबित हो गया है.
अदालत ने कहा कि परिस्थिति जन्य सबूतों से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि तीनों दोषियों ने ही हत्या के लिए जिगिशा का अपहरण किया था. सजा पर दलील सुनाने के लिए 20 अगस्त की तारीख तय की गई है. न्यायिक हिरासत के दौरान तीनों आरोपियों के व्यवहार के संदर्भ में रिपोर्ट मांगी गई है.
बताते चलें कि हेविट एसोसिएट प्राइवेट लि. में ऑपरेशन मैनेजर के रूप में कार्यरत 28 वर्षीय जिगिशा की 18 मार्च, 2009 को अपहरण कर हत्या कर दी गई थी. ऑफिस कैब ने जिगिशा को सुबह लगभग चार बजे दिल्ली के वसंत विहार में उसके घर के पास छोड़ा और वहीं से उसका अपहरण कर लिया गया.
परिजन अदालत के फैसले से संतुष्ट
जिगिशा का शव 20 मार्च, 2009 को हरियाणा के सूरजकुंड के पास से बरामद किया गया. उसके माता-पिता ने बताया कि वे अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं. अभियोजन पक्ष ने मामले में अपनी ओर से 58 गवाहों को पेश किया. इसके बाद सबूतों के आधार पर अदालत तीनों अभियुक्तों को इस हत्याकांड में दोषी पाया.
इन धाराओं के तहत दोष साबित
अदालत ने अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 201 (सबूत नष्ट करने), धारा 364 (हत्या करने के लिए अपहरण), धारा 394 (लूट के दौरान चोट पहुंचाना), धारा 468 (फर्जीवाड़ा), धारा 471 (फर्जी दस्तावेज का वास्तविक इस्तेमाल), धारा 482 (झूठी संपत्ति को व्यवहार में लाना) और धारा 34 के तहत दोषी ठहराया.
पत्रकार विश्वनाथन हत्याकांड
पुलिस के मुताबिक, हत्या में इस्तेमाल हथियार से पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड की गुत्थी सुलझने में मदद मिली, जिसकी 30 सितंबर, 2008 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जिस वक्त सौम्या को गोली मारी गई, वह अपनी कार से ऑफिस से घर लौट रही थी. पत्रकार की हत्या में तीन लोग शामिल थे.
हत्याकांड का घटनाक्रम
18 मार्च, 2009: दिल्ली के वसंत विहार स्थित अपने घर के निकट सुबह चार बजे कैब से उतरने के बाद जिगिशा को अगवा किया गया.
20 मार्च, 2009: जिगिशा का शव हरियाणा के सूरजकुंड के पास एक जगह से बरामद किया गया.
23 मार्च, 2009: हत्याकांड में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया.
जून 2009: दिल्ली पुलिस ने मामले में तीन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.
15 अप्रैल, 2010: दिल्ली की अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई.
5 जुलाई, 2016: दिल्ली की अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा.
14 जुलाई, 2016: दिल्ली की अदालत ने तीन लोगों को दोषी करार दिया.