उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की नाबालिग दलित लड़की से रेप के आरोप में जेल में बंद आसाराम पर कल फैसला आने वाला है. आसाराम पर फैसला सुनाने के लिए जोधपुर सेंट्रल जेल में ही कोर्ट तैयार किया गया है, जहां आसाराम करीब 4 साल से बंद है. इस दौरान आसाराम ने रिहा होने के लिए एक से एक हथकंडे अपनाए. वकील बदले, बीमारी का बहना बनाया, नर्स की डिमांड की और सबसे बढ़कर गवाहों पर हमले करवाता रहा.
लेकिन आसाराम के केस में जो सबसे मजबूत पहलू है वह गवाह ही हैं, जो अपने स्टैंड से हिले नहीं, मुकरे नहीं. आसाराम के जेल जाने के बाद से अब तक कुल 9 गवाहों पर जानलेवा हमला हो चुका है. इनमें से तीन गवाहों का तो कत्ल ही कर दिया गया, जबकि एक गवाह लापता हो गया. वहीं हमले में एक गवाह अपाहिज हो गया. आसाराम मामलों के गवाहों पर होने वाले हमलों के तरीके बिल्कुल किसी माफिया के हमलों जैसे हैं. गवाहों पर गोलियां चलाई गईं, तेजाब फेंका गया और चाकू से हमले किए गए.
कब-कब, किन-किन गवाहों पर हुए हमले
1. आसाराम के खिलाफ रेप का पहला केस दर्ज होने के बाद सूरत से दो सगी बहनों ने भी हिम्मत दिखाई. दोनों बहनों ने आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के खिलाफ रेप का केस दर्ज करवाया. यह मामला अभी अहमदाबाद कोर्ट में चल रहा है. इनमें से एक बहन के पति पर 28 फरवरी, 2014 को जानलेवा हमला हुआ. मुश्किल से उसकी जान बची.
2. सूरत की दोनों बहनों से ही जुड़े मामले में अहम गवाह राकेश पटेल पर 10 मार्च, 2014 को कुछ बाइक सवार गुंडों ने घातक हमला किया जो. बाद में पता चला कि हमलावर आसाराम के ही भक्त थे. हमले में राकेश पटेल मरते-मरते बचे.
3. राकेश पटेल पर हमले के महज दो सप्ताह बाद सूरत मामले में ही एक और गवाह दिनेश भागचंदानी पर बाइक पर सवार होकर आए दो युवकों ने तेजाब फेंक दिया. लेकिन इस बार हमलावरों की किस्मत अच्छी नहीं रही. हिम्मती दिनेश ने एक बदमाश को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.पुलिस की जांच में पता चला कि बदमाश ने आसाराम के पक्के भक्त बासवराज बसु के कहने पर यह हमला किया था. उसने बताया कि सूरत मामले में गवाहों को वे चुन-चुनकर मारने की साजिश में शामिल था और इस साजिश में उसके साथ आसाराम के 12 दूसरे भक्त भी शामिल थे. बाद में पांच और हमलावर गिरफ्तार किए गए जो नारायण साईं के भक्त निकले.
4. आसाराम के पूर्व निजी वैद्य और राजदार अमृतभाई गुलाबचंद प्रजापति को अदालत में गवाही देने के कुछ ही दिन बाद उनके क्लीनिक में ही 3 मई, 2014 को मार दिया गया. राजकोट के क्लीनिक में गुमनाम हमलावर मरीज बनकर आए थे. चेकअप के दौरान हमलावर ने प्रजापति को गोली मार दी. करीब 15 साल आसाराम के लिए काम करने वाले प्रजापति की 17 दिन बाद मौत हो गई.
5. आसाराम के भक्तों ने पत्रकारों तक को नहीं बख्शा. आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के खिलाफ लगातार खबरें करने वाले पत्रकार नरेंद्र यादव पर शाहजहांपुर में 17 सितंबर, 2014 को चाकू से हमला किया गया. हमला दो लोगों ने किया था, मगर नरेंद्र बच निकले.
6. सूरत केस में गवाह अखिल गुप्ता को मुजफ्फरनगर में बाइक सवार दो लोगों ने जनवरी 2015 में गोली मार दी. उनकी मौत हो गई. अखिल भी आसाराम के आश्रम में कुक का काम कर चुके थे.
7. जोधपुर कोर्ट के बाहर राहुल सचान पर 13 फरवरी 2015 को हमला हुआ, हालांकि वह इस हमले में बच गए. वह आसाराम के निजी सहयोगी रहे थे और तीनों मामलों में गवाह थे. 25 नवंबर 2015 को वो अचानक से लापता हो गए और आज तक राहुल का कुछ अता-पता नहीं है.
8. हरियाणा के पानीपत में महेंद्र चावला पर 13 मई, 2015 को दो लोगों ने गोली चला दी. महेंद्र चावला आसाराम के बेटे नारायण साईं के निजी सहायक थे और तीनों मामले में गवाह हैं. इस हमले की वजह से महेंद्र चावला अपाहिज हो गए और पुलिस सिक्योरिटी में रहते हैं.
9. 25 अप्रैल को जिस मामले में जोधपुर कोर्ट आसाराम के खिलाफ फैसला सुनाएगा, उसी मामले में गवाह रहे कृपाल सिंह की 10 जुलाई, 2015 को शाहजहांपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई.
गिरफ्त में आया गवाहों पर हमले का मास्टरमाइंड
आखिरकार गुजरात ATS को 15 मार्च, 2016 को बड़ी कामयाबी मिली और इन सभी हमलों के मास्टरमाइंड कार्तिक हलदर को गिरफ्तार कर लिया गया. छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार कार्तिक हलदार आसाराम का करीबी था और खुद को आसाराम का फिदायीन बता रहा था. कार्तिक हलदर ने तीन गवाहों की हत्या की बात भी कुबूल ली. इसके अलावा हलदर पर चार अन्य गवाहों पर जानलेवा हमला करने का भी आरोप है.
गवाहों की हत्या के लिए आश्रम के साधकों ने दिए पैसे
तीन हत्या और हत्या की कोशिश के 4 मामलों में आरोपी हलदर ने पूछताछ में बताया कि वह बीच-बीच में आसाराम से मिलने जोधपुर कोर्ट जाता रहता था. साथ ही उसने यह भी बताया कि गवाहों की हत्या के लिए उसने देश भर से आसाराम के भक्तों से चंदा करके 25 लाख रुपये इकट्ठा किए थे. वो सभी गवाहों को मारने के लिए एके 47 और बम खरीदने वाला था. हलदार ने जोधपुर मामले में जांच अधिकारी चंचल मिश्रा को भी मारने का प्लान बना रखा था.
मामला कमजोर करने के लिए की हत्या
एटीएस ने एक बयान में बताया कि पूछताछ में हलदर ने अधिकारियों से कहा कि उसे आसाराम के अन्य साधकों ने इन गवाहों की हत्या करने का निर्देश दिया था, ताकि विवादास्पद बाबा के खिलाफ मामले कमजोर हो सके.
पीड़िता की जुबानी खौफनाक दास्तां
विज्ञप्ति के मुताबिक वह आसाराम के निजी चिकित्सक अमृत प्रजापति की जून 2014 में, उनके सहयोगी सह रसोइए अखिल गुप्ता की जनवरी 2015 में और अन्य प्रमुख गवाह कृपाल सिंह की जुलाई 2015 में देश के विभिन्न हिस्सों में हत्या करने का आरोपी है.