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बांदा में महिला के साथ गैंगरेप, पुलिस ने जबरन समझौता कराया

बलात्कार का सिलसिला महीनों तक चलता रहा, वह भी किसी एक जगह नहीं, दर्जनों जगह. पीड़िता को हर दिन धमकियां भी मिलती रहीं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (इंडिया टुडे आर्काइव)
प्रतीकात्मक तस्वीर (इंडिया टुडे आर्काइव)

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एक 23 साल की महिला ने अपने साथ गैंगरेप कर जबरन बंधक बनाने का मामला दिल्ली महिला आयोग में दर्ज कराया है. पीड़ित महिला उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित बबेरू थानाक्षेत्र की रहने वाली है. ससुराल वालों से किसी बात पर विवाद होने के बाद उसके रिश्ते का देवर शिवचरण यादव उसे मायके पहुंचाने के नाम पर बहला-फुसलाकर अपने एक साथी सूरजदीन के पास ले गया, जहां पहली बार उसका गैंगरेप किया गया.

यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा, वह भी किसी एक जगह नहीं, दर्जनों जगह. पीड़िता को हर दिन धमकियां भी मिलती रहीं. पहली बार एक महीने तक उसे बंधक बना कर हर दिन उसका बलात्कार किया गया और उसके बाद किसी दूसरी महिला के हाथों 30 हजार रुपए में उसका सौदा कर दिया गया. इसके बाद वह महिला कितने लोगों के हाथों बिकी और कितनों ने उसके साथ बलात्कार किया, यह सिलसिलेवार कहानी उसकी चिट्ठी खुद बयां कर देती है.

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पता लगा है कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा के कुछ सदस्य पीड़िता को दिल्ली लेकर आए हैं. पीड़िता ने दिल्ली के रानीबाग थाना इंचार्ज के पास खुद पर हुए जुल्मों की शिकायत दर्ज करवानी चाही तो पुलिस वालों ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसी का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया. पुलिस वालों ने मंजू पर दबाव डाला कि वह आरोपियों से कुछ पैसे लेकर मामला रफा-दफा कर ले. जब महिला ने पुलिस की यह बात मानने से मना कर अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की मांग की तो पुलिस ने न सिर्फ उसके साथ गाली-गलौच की, बल्कि उस पर लगातार दबाव डालते रहे.

पीड़िता मंजू के मुताबिक वह 14 दिसंबर को रानी बाग पुलिस थाने में गई लेकिन पुलिस ने उसकी कुछ भी नहीं सुनी. उलटा डांटते-फटकारते रहे. पुलिस ने महिला को ही गलत बताया और पैसे के लिए ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया. पीड़िता के मुताबिक पुलिस ने आरोपियों की ऊंची पकड़ की भी बात की और चुप रहने को कहा.

महीनों तक बलात्कार झेलती रही मंजू के मुताबिक, 'तुलसी और अनिल गुप्ता को पुलिस ने थाने में बुलाया और उनसे अलग से पहले बात की. उसके बाद पुलिस ने मेरे पास आकर कहा कि 50 हजार तुलसी से और 60 हजार अनिल गुप्ता से दिलाते हैं और पुलिस ने एक कागज पर जबरदस्ती बोल-बोलकर मुझसे लिखवाया कि अनिल गुप्ता और तुलसी ने मेरे साथ कोई गलत काम नहीं किया और मैं यह पत्र अपनी मर्जी से लिख रही हूं. मुझ पर दबाव डाला कि यह लिखो और साईन करो. फिर मेरे से पुलिस ने साईन करवाए और मेरे ससुर को साइन करने के लिए बुलाया तो उन्होंने समझौता पत्र पढ़कर मना कर दिया. ससुर के मना करने पर पुलिस ने उनको गाली देते हुए भगा दिया और कहा कि तेरे खिलाफ उलटा मुकदमा दर्ज करते हैं. ससुर को वहां से भगाने के बाद पुलिस ने मुझे कमरे में बंद कर कहा कि अपने ससुर का भी हस्ताक्षर कर, नहीं तो तुझे भी अभी ठीक करते हैं.'

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