भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया है. गुरुवार को जब चंद्रशेखर आजाद तिहाड़ जेल से बाहर आए, तो समर्थकों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया. बुधवार को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को तिहाड़ जेल से रिहा किया गया है.
दिल्ली की तिहाड़ से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर आजाद ने कहा, 'मैं जेल में रहने को तैयार हूं, लेकिन अपनी नजरबंदी नहीं करने दूंगा. यह सरकार मुझको रोक नहीं सकती है. सभी जानते हैं कि सरकार क्या कर रही है. हालांकि मैं कोर्ट के आदेश का सम्मान करता हूं. सीएए और एनआरसी के खिलाफ मेरी लड़ाई लगातार जारी रहेगी. इसको कोई रोक नहीं सकता है.'
Delhi: Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad released from Tihar Jail. A Delhi Court had granted him bail yesterday, ordering him to not hold any protest in Delhi till February 16th. pic.twitter.com/JtGwT7JeV8
— ANI (@ANI) January 16, 2020
बुधवार को जमानत देते हुए अदालत ने कहा था कि तिहाड़ से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर अगले 4 सप्ताह तक दिल्ली में नहीं रहेंगे, क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. साथ ही जब तक मामले में चार्जशीट दायर नहीं होती है, तब तक वो हर शनिवार को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एसएचओ के सामने हाजिरी देंगे. बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चंद्रशेखर आजाद को फटकार भी लगाई.
वहीं, बुधवार को चंद्रशेखर के वकील महमूद प्राचा ने कोर्ट से कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के दौरान चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब किसी से दिक्कत होती है, तो वो पुलिस को आगे कर देते है. इस पर कोर्ट ने कहा कि चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री का सम्मान करना चाहिए.
कोर्ट ने कहा था कि जो ग्रुप विरोध प्रदर्शन करता है, उसी पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुचाने का आरोप भी लगता है. इस मसले पर दिल्ली पुलिस ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई और पुलिस बैरिकेडिंग व दो प्राइवेट गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया. इसकी जवाबदेही भी चंद्रशेखर आजाद की है.
इससे पहले मंगलवार को अदालत ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. साथ ही सवाल किया था कि दिल्ली पुलिस कोई ऐसा कानून बताए, जो इस प्रकार से इकट्ठा होने पर रोक लगाता हो. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि इस मामले में हिंसा कहां है? कौन कहता है कि लोग प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं? क्या आपने संविधान पढ़ा भी है? हर नागरिक का यह संवैधानिक अधिकार है कि सहमत न होने पर वह विरोध प्रदर्शन करे.
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में शामिल होने के संदेह में पिछले महीने दरियागंज से गिरफ्तार किया था. उनको जामा मस्जिद के बाहर से गिरफ्तार किया गया था.