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भीमा कोरेगांव केसः HC ने आरोपी से पूछा- अपने पास क्यों रखी वॉर एंड पीस किताब

एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने वेरनॉन गोंजाल्विस से पूछा कि आखिर आपने किताब वॉर एंड पीस और आपत्तिनजक सीडी अपने पास क्यों रखा?

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वेरनॉन गोंजाल्विस
वेरनॉन गोंजाल्विस

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  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दागे सवाल
  • पुलिस ने कहा- भड़काऊ सबूतों में से एक है 'वॉर एंड पीस' किताब

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वेरनॉन गोंजाल्विस पर सवाल दागे हैं. हाई कोर्ट ने वेरनॉन गोंजाल्विस से पूछा कि आखिर आपने 'वॉर एंड पीस' समेत कई आपत्तिनजक सामग्री अपने पास क्यों रखी?

गोंजाल्विस की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस सारंग कोतवाल ने कहा कि आपके पास से बरामद किताबों और सीडी से पहली नजर में लग रहा है कि आप प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा हैं. इन किताबों से यह संकेत भी मिलते हैं कि आप राज्य के खिलाफ कुछ सामग्री रखते थे.

कोर्ट की टिप्पणी के बाद ये मामला तूल पकड़ लिया. अब इस पूरे मामले में सफाई आई है. दरअसल जिस वॉर एंड पीस का कोर्ट ने जिक्र किया वो लियो टॉल्सटॉय की नहीं थी. ये किताब बिश्वजीत रॉय की वॉर एंड पीस इन जंगलमहल है.

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वेरनॉन गोंजाल्विस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील युग चौधरी ने अदालत को बताया कि अखबार ने गलत सूचना दी है कि वह लियो टॉलस्टॉय की किताब वॉर एंड पीस थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि पंचनामा में जिस किताब का जिक्र किया गया और जज ने जिसे पढ़ा वह बिश्वजीत रॉय की वॉर एंड पीस इन जंगलमहल थी. इसपर जस्टिस सारंग कोतवाल ने सहमति जताते हुए कहा कि जिस तरह से रिपोर्टिंग की गई वह हैरानी वाली है. मैं हैरान हूं.

कोर्ट की बहस का अहम हिस्सा बनी वॉर एंड पीस

बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में भीमा कोरेगांव मामले की सुनवाई के दौरान वॉर एंड पीस उपन्यास बहस का अहम हिस्सा बन गया. इस मामले की जांच कर रही पुलिस ने दावा किया कि गोन्जाल्विस के घर पर छापेमारी के दौरान बरामद बेहद भड़काऊ सबूतों में से वॉर एंड पीस किताब भी एक है.

पुलिस ने वेरनॉन गोन्जाल्विस के मुंबई स्थित घर से जिन किताबों और सीडी को जब्त किया गया, उनमें वॉर एंड पीस के अलावा कबीर कला मंच की सीडी राज्य दमन विरोधी, मार्क्सिस्ट आर्काइव्स, जय भीमा कामरेड, अंडरस्टैंडिंग माओइस्ट, आरसीपी रीव्यू के अलावा नेशनल स्टडी सर्किल द्वारा जारी परिपत्र की प्रतियां भी शामिल हैं. बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान इन किताबों और सीडी का जिक्र किया गया.

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पुलिस ने दावा किया था कि 31 दिसंबर 2017 को भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसकी वजह से अगले दिन पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव गांव के आसपास जातीय हिंसा भड़की थी. भीमा कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह के दौरान भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इसके साथ ही कई लोग घायल हो गए थे. पुलिस इस आयोजन के कथित तौर पर नक्सली कनेक्शन जुड़े होने की जांच कर रही है.

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