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यूपी: पशुधन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा, 9.72 करोड़ की ठगी, 7 गिरफ्तार

यह फर्जीवाड़ा साल 2018 में शुरू हुआ था, जिसमें लखनऊ में तैनात आईपीएस अधिकारी और कुछ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है. यूपी एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच कर रही थी.

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ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी (सांकेतिक तस्वीर)
ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी (सांकेतिक तस्वीर)

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  • ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी का अनोखा मामला
  • राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद के निजी सचिव भी शामिल
  • हजरतगंज में 11 लोगों के खिलाफ पहले ही FIR दर्ज

उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों में ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी का एक अनोखा मामला सामने आया है. इसमें एसटीएफ ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों में उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग के राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद के प्रधान निजी सचिव तक शामिल हैं.

दरअसल, आरोपियों ने धोखाधड़ी का जो तरीका इस्तेमाल किया वह बेहद शातिराना और यूनिक है. इस तरीके में राज्यमंत्री के प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय का संविदा कर्मी धीरज कुमार देव, पत्रकार राजीव और खुद को पशुधन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय शामिल है. इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में 11 लोगों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज कर दी गई है.

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यह फर्जीवाड़ा साल 2018 में शुरू हुआ था, जिसमें लखनऊ में तैनात आईपीएस अधिकारी और कुछ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत का भी पता चला है. यूपी एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच कर रही थी. जांच के मुताबिक पशुधन विभाग में फर्जी टेंडर के माध्यम से 9 करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी की गई.

किस तरह शुरू हुआ खेल

आरोपियों ने इंदौर के मनजीत सिंह नाम के बिजनेसमैन को करीब 200 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने के लिए अपने जाल में फंसाया, और उसे बताया उसकी मुलाकात निदेशक पशुधन विभाग से करा कर तसल्ली कराई जाएगी. अब यहां जालसाजों ने अपना खेल शुरू किया.

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सचिवालय में सरकार की तरफ से मिले हुए कमरे का इस्तेमाल पशुधन निदेशक के कमरे के रूप में किया गया. यानी उस कमरे पर निदेशक की फर्जी पट्टी लगा दी गई, और आरोपी आशीष राय खुद निदेशक बनकर वहां बैठ गया. बाकी आरोपियों ने मंजीत की मुलाकात उससे कराई और कहा कि आपका काम हो जाएगा.

इसी तरीके से कई मामलों में उसको अलग-अलग लोगों से मिलवाया गया. फर्जी कागजात साइन कराए गए, और कई और फॉर्मेलिटीज के नाम पर उससे 9 करोड़ 72 लाख रुपये हड़प लिए गए. जब मनजीत सिंह को न तो कोई काम मिला और न ही पैसे वापस मिले तो उसने उसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की जिसके बाद जांच कर रही एसटीएफ ने इन 7 आरोपियों को पकड़ा है.

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पकड़े गए 7 आरोपियों में लखनऊ के विभव खंड में रहने वाला आशीष राय, राजाजीपुरम में रहने वाला रजनीश दीक्षित, ग्रीनवुड अपार्टमेंट में रहने वाला धीरज कुमार देव, नेहरू एनक्लेव में रहने वाला एक के राजीव, देवरिया का रहने वाला अनिल राय जो कि यूपी के बड़े रीजनल चैनल के डिजिटल विभाग का एडिटर है.

इसके अलावा एसटीएफ ने आजमगढ़ के रहने वाले रूपक राय और प्रयागराज के उमाशंकर तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया है. इस पूरे मामले में आशीष राय मास्टरमाइंड है लेकिन बाकी लोग भी पूरी तरह से शामिल हैं. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से लैपटॉप, मोबाइल, फर्जी आईडी कार्ड, लेटर हेड, कैमरे, पैन कार्ड, आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज बरामद किए हैं. इस मामले में एक आईपीएस अधिकारी की संलिप्तता भी सामने आ रही है.

और बड़े आरोपियों की गिरफ्तारी तय

दरअसल, पीड़ित मनजीत सिंह को ठेका दिलाने का झांसा जब दिया गया तो उसका टेंडर ऑनलाइन नहीं दिख रहा था. इस बारे में जब व्यापारी ने बार-बार पूछा तो आरोपियों ने एक नई कहानी बना दी. शिकायत के मुताबिक आरोपी उसे एक आईपीएस अधिकारी के पास लेकर गए जिसने मनजीत सिंह से 50 लाख रुपये लिए हुए थे.

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उस आईपीएस अधिकारी ने इस बात की तस्दीक की कि मनजीत सिंह को मिलने वाला टेंडर सही है. कुल मिलाकार फर्जीवाड़े का ये मामला बेहद चौंकाने वाला है. इसमें मंत्रियों के स्टाफ से लेकर अधिकारी और पत्रकार भी शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कई और बड़े आरोपियों की गिरफ्तारी तय है.

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