सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले पर सुनवाई करते हुए केस की स्टेटस रिपोर्ट पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने बिहार सरकार इस मामले की जांच के लिए और वक्त देने से साफ इनकार कर दिया. और शेल्टर होम से जुड़े सभी मामलों की जांच सीबीआई के हवाले कर दी.
इससे पहले देश की सबसे बड़ी अदालत ने बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार को फटकार लगाई. दीपक कुमार ही मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की स्टेटस रिपोर्ट लेकर कोर्ट में पेश हुए थे. सरकार के वकील ने अदालत से गुहार लगाते हुए कहा कि अगर शेल्टर होम से जुड़े सभी 17 मामलों की जांच सीबीआई करेगी तो सरकार को लेकर गलत मैसेज जाएगा. लेकिन कोर्ट ने राज्य पुलिस को नाकामयाब बताते हुए सभी मामले सीबीआई के हवाले कर दिए. साथ ही फरमान सुनाया कि इस जांच से जुड़े किसी भी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा.
ये था पूरा मामला
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में को लेकर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की तरफ से बिहार के समाज कल्याण विभाग को एक ऑडिट रिपोर्ट भेजी गई थी. जिसमें वहां निवास करने वाली 34 लड़कियों के साथ बलात्कार किए जाने का खुलासा हुआ था. इस शेल्टर होम का संचालन एक तथाकथित पत्रकार बृजेश ठाकुर चलाता था. वह बिहार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर का दोस्त भी है.
टीस के रिपोर्ट चर्चाओं में आने के बाद इसी साल 31 मई को बृजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. मामले के खुलासे के बाद बिहार की कैबिनेट मंत्री मंजू वर्मा ने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस मामले में मंजू के पति के घर से पुलिस छापे के दौरान 50 जिंदा कारतूस बरामद हुए थे. जब चंद्रशेखर के खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज किया गया था.
इसके बाद मंजू के खिलाफ भी वारंट जारी किए गए. लेकिन मंजू फरार चल रही थी. इस बात पर सुप्रीम कोर्ट खासी नाराजगी जताई और बिहार पुलिस के मुखिया को तलब कर लिया. इसके साथ ही 20 नवंबर को मंजू ने नाटकीय ढंग से कोर्ट में जाकर सरेंडर कर दिया. हैरानी की बात है कि पुलिस को भी इसकी ख़बर नहीं लगी.