कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और मौरीन वाड्रा के खिलाफ बीकानेर लैंड डील मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला. दरअसल, स्काईलाइट प्राइवेट हॉस्पिटैलिटी और महेश नागर के मामले की सुनवाई जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की पीठ कर रही है. गुरुवार को यह मामला 47 और 48 क्रम पर सूचीबद्ध था.
इसके साथ ही मामले की सुनवाई के लिए दोपहर 2:00 बजे का समय भी निर्धारित था. हालांकि कोर्ट में मामले की सुनवाई समय से पहले शुरू कर दी और पूरी कर ली गई. इस मामले की सुनवाई समय से पहले होने की वजह से जयपुर से आए ईडी के वकील एएसजी राज दीपक रस्तोगी पैरवी नहीं कर पाए.
ईडी और वाड्रा के वकीलों के बीच क्यों हुई नोकझोंक?
वहीं, रॉबर्ट वाड्रा और मौरीन वाड्रा की पैरवी के लिए सीनियर एडवोकेट केटीएन तुलसी और एडवोकेट कुलदीप माथुर कोर्ट में उपस्थित रहे. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 5 नवंबर की तारीख मुकर्रर कर दी. वहीं, जब दोपहर 2:00 बजे निर्धारित समय पर एएसजी राग दीपक रस्तोगी कोर्ट में पहुंचे, तो सुनवाई खत्म हो चुकी थी. इस पर उन्होंने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई.
एएसजी रस्तोगी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में करीब 13 बार सुनवाई टल चुकी है. साथ ही उन्होंने वाड्रा के एडवोकेट पर डर्टी गेम प्ले करने का आरोप लगाया. उन्होंने कोर्ट से कहा कि आखिर यह लुका छिपी का गेम कब तक चलेगा.
कोर्ट में समय से पहले कैसे हो गई सुनवाई?
एएसजी रस्तोगी के सहायक बीपी बोहरा की ओर से एक अर्जी कोर्ट में पेश कर इस बात पर आपत्ति की गई कि मामले की सुनवाई नियत समय से पहले कैसे की गई, जिस पर वहां के एडवोकेट ने जवाब देने के लिए समय मांगा. अब इस अर्जी पर 24 अक्टूबर से पहले वाड्रा के एडवोकेट को जवाब पेश करना है और 24 अक्टूबर को इस मामले में फिर सुनवाई होगी. इस तरह मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 नवंबर और 24 अक्टूबर की दो तारीख दे दी गईं.
क्या है बीकानेर लैंड डील?
यह पूरा मामला बीकानेर के कोलायत इलाके में 275 बीघा जमीन की खरीद फरोख्त का है. इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है. यह जमीन बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के विस्थापित लोगों को अलॉट की जानी थी, लेकिन इसे गलत तरीके से खरीदा गया.