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गोपीनाथ मुंडे की मौत पर CRRI का खुलासा, पेड़-पौधों के चलते हुआ था एक्सिडेंट

सीआरआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपीनाथ मुंडे की कार का एक्सिडेंट पेड़-पौधों की वजह से हुआ. रोड के किनारे लगे पेड़-पौधों की टहनियां बढ़ी होने की वजह से रेड लाइट दिखाई नहीं दे रही थी, जिसके चलते यह एक्सिडेंट हुआ.

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गोपीनाथ मुंडे की मौत पर CRRI का अजीबोगरीब खुलासा
गोपीनाथ मुंडे की मौत पर CRRI का अजीबोगरीब खुलासा

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दिग्गज BJP नेता गोपीनाथ मुंडे की मौत के मामले में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) ने अपनी रिपोर्ट केस की जांच कर रही CBI को सौंप दी है. CRRI ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि गोपीनाथ मुंडे की मौत सड़क पर लगे पेड़-पौधों के चलते हुई.

सीएसआईआर के सीनियर वैज्ञानिक एस वेलमुरुगन ने बताया कि हादसे की जांच में कि बाहरी का हाथ नहीं मिला है. सीबीआई के कहने पर सीआरआरआई के तीन वैज्ञानिको ने मौका-ए-वारदात की जांच की और पाया कि वारदात की सुबह दोनों ट्रैफिक सिग्नल ठीक से काम कर रहे थे. सीआरआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपीनाथ मुंडे की कार का एक्सिडेंट पेड़-पौधों की वजह से हुआ. रोड के किनारे लगे पेड़-पौधों की टहनियां बढ़ी होने की वजह से रेड लाइट दिखाई नहीं दे रही थी, जिसके चलते यह एक्सिडेंट हुआ.

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बता दें कि 3 जून, 2014 दिल्ली में कार एक्सिडेंट में गोपीनाथ मुंडे का निधन हो गया था. जब उनका निधन हुआ, उस समय वह नरेंद्र मोदी की सरकार में ग्राम विकास एवं पंचायत राज मंत्री थे.

यह अब तक का ऐसा दूसरा सामान्य एक्सीडेंट का केस है जिसमें सीबीआई को जांच के लिए लगाया गया. सीआरआरआई के वैज्ञानिकों ने दिल्ली के तुगलक रोड-सफदरजंग रोड-अरविंदो मार्ग और पृथ्वीराज रोड इंटर सेक्शन की जांच के बाद यह रिपोर्ट सौंपी है.

रिपोर्ट में बताई गई कुछ अहम बातें-:

* मौका-ए-वारदात पर गोल चक्कर होता तो घटना न होती.

* रेड लाइट सिग्नल रिमूव करके राउंड अबाउट लगाने की सिफारिश.

* जिन पेड़-पौधों की वजह से ट्रैफिक नहीं दिख रहा उन्हें काटा जाए.

* खतरनाक सर्विस रोड को मेन रोड में सीधे मिलाने की बजाय मर्जन प्वाइंट 50 मीटर पहले हो.

* बरसात के मौसम में या बरसात से थोड़ा पहले पेड़-पौधों की टहनियां काफी बढ़ जाती हैं, जिन्हे वक्त पर ट्रिम किया जाए.

हालांकि गोपीनाथ मुंडे की कार एक्सिडेंट में हुई मौत के 4 साल बीत चुके हैं और अब तक इस मार्ग पर न तो कोई गोल चक्कर बना है और सीआरआरआई द्वारा सुझाए गए उपाय ही अपनाए गए.

सीआरआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी की अधिकांश सड़कें बेहद खतरनाक हैं. सीआरआरआई का कहना है कि करीब 875 ट्रैफिक सिग्नल में से करीब 70 फीसदी पेड़-पौधों की वजह दिखाई नहीं पड़ते. इन ट्रैफिक सिग्नल्स पर पेड़-पौधों की ट्रिमिंग ही नहीं होती.

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आजतक के रियलिटी चेक में भी ये ट्रैफिक सिग्नल पेड़-पौधों से ढंके मिले-:

सीआरआरआई की रिपोर्ट के आधार पर आजतक की टीम भी दिल्ली की सड़कों पर रियलिटी चेक करने निकली. अजतक की टीम ने काफी हद तक सीआरआरआई की रिपोर्ट को सही पाया. आजतक की पड़ताल में दिल्ली के जिन ट्रैफिक सिग्नल हरे भरे पेड़ पौधों की वजह से दिखाई नहीं दे रहे, वे हैं-:

तिलक ब्रिज बस स्टैंड (स्टॉपेज के बोर्ड ढक गया है)

शाहजहां रोड बस स्टैंड (सरकारी फ्लैट्स का बोर्ड पेड़ से ढक गया है)

हुमायूं रोड (लेफ्ट लेने पर दिखता है कि ट्रैफिक सिग्नल बढ़े हुए पेड़ो से ढक गया है)

न्यू मोती बाग चौराहा

आरके पुरम चौराहा

आईआईटी चौराहा

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