बांदा जेल में अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद लखनऊ स्थित PGI लाए गए बाहुबली नेता और विधायक मुख्तार अंसारी और उनकी पत्नी की हालत में सुधार हो रहा है. मुख्तार अंसारी की पत्नी अफसा अंसारी की बेहतर स्थिति को देखते हुए अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. वहीं, मुख्तार को अभी ऑब्जर्वेशन में रखा गया है.
जानकारी के मुताबिक, PGI के एमआईसीयू वार्ड में भर्ती मुख्तार अंसारी की हालत खतरे से बाहर और स्थिर बताई जा रही है. उनके कई मेडिकल टेस्ट आज होने हैं, इसलिए उन्हें अस्पताल में ही रखा गया है. मुख्तार का एंजियोग्राफी टेस्ट किया जा चुका है. डॉक्टर बहुत जल्द ही आगे का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय करेंगे.
मंगलवार सुबह बांदा जेल में अफसा अंसारी तब बेहोश हो गईं, जब मुलाकात के दौरान मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब हो गई थी. मुख्तार को अचानक आए पसीने और सीने में दर्द के बाद पहले बांदा के सरकारी अस्पताल के ट्रामा सेंटर लाया गया था. इसके बाद में कानपुर होते हुए उन्हें लखनऊ के पीजीआई में शिफ्ट किया गया.
मुख्तार के मद्देनजर PGI की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. सैकड़ों की तादाद मुख्तार के समर्थक मंगलवार शाम से ही अस्पताल में डटे हुए हैं. बांदा जेल में दोनों की तबीयत अचानक बिगड़ने की वजह क्या थी? इस पर राज्य के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने डीएम और एसपी से रिपोर्ट मांगी है. इस मामले की जांच हो रही है.
मुख्तार के भाई और पूर्व सांसद अफजाल ने बताया कि अंसारी दंपति जेल में एक साथ चाय पी रहे थे. चाय पीने के कुछ ही देर बाद मुख्तार बेहोश होकर गिर पड़े. उनकी पत्नी भी बेसुध हो गईं. दोनों को तत्काल बांदा अस्पताल लाया गया, जहां से उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया. दोपहर करीब 12 बजे परिवार को सूचना दी गई.
बताते चलें कि मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले में हुआ था. उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. पिता एक कम्यूनिस्ट नेता थे. राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली. किशोरवस्था से ही मुख्तार निडर और दबंग थे. उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और सियासी राह पर चल पड़े.
1970 में सरकार ने पिछड़े हुए पूर्वांचल के विकास के लिए कई योजनाएं शुरु की. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस इलाके में जमीन कब्जाने को लेकर दो गैंग उभर कर सामने आए. 1980 में सैदपुर में एक प्लॉट को हासिल करने के लिए साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह का दूसरे गिरोह के साथ जमकर झगड़ा हुआ. यहीं से गैंगवार शुरू हुआ.
साहिब सिंह गैंग के सदस्य ब्रजेश सिंह ने अपना अलग गिरोह बना लिया. 1990 में गाजीपुर के तमाम सरकारी ठेकों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. यहीं ब्रजेश और मुख्तार का सामना हुआ था. दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई. 1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार का नाम आया था. हालांकि पुलिस पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाई.
1995 में मुख्तार ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा. 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए. इसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया. 2002 आते आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए. इसी दौरान एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार के काफिले पर हमला कराया.
दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था. उसके मारे जाने की अफवाह थी. इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे. मुख्तार चौथी बार विधायक हैं. हालांकि बाद में ब्रजेश जिंदा पाए गए. दोनों के बीच फिर से झगड़ा शुरू हो गया.