यूपी के डीजीपी का कहना है कि बुलंदशहर हिंसा एक बड़ी साजिश थी. जबकि हिंसा के दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या करने और पुलिस पर हमला करने के आरोपी एक फौजी को पुलिस तलाश कर रही है. जो बुलंदशहर के ही चिंगरावठी गांव का रहने वाला है. उसकी पहचान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू के रूप में हुई है. वह इस वक्त जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात है.
दरअसल, आरोपी फौजी जितेंद्र मलिक का नाम एफआईआर में दर्ज है. बुलंदशहर पुलिस ने कल कोर्ट से जितेंद्र मलिक के खिलाफ नान बेलेबल वारंट जारी करवाया है. उसकी तलाश में यूपी एसटीएफ की टीम जम्मू-कश्मीर पहुंच गई है. यूपी पुलिस को शक है कि इंस्पेक्टर सुबोध पर गोली फौजी ने ही चलाई थी. हालांकि की फौजी जीतू की गिरफ्तारी के बाद ही इस बात का खुलासा होगा कि गोली जितेंद्र ने चलाई थी या नहीं.
यूपी एसटीएफ के सूत्रों ने आज तक को बताया की उन्होंने जितेंद्र के अधिकारियों से जम्मू-कश्मीर में बात कर ली है. हमें अधिकारियों ने आश्वासन दिया की जितेंद्र को बैरक से कहीं जाने नहीं दिया जाएगा. किसी भी वक्त यूपी एसटीएफ जितेंद्र को हिरासत में ले सकती है, जितेंद्र से पूछताछ के बाद ही इस बात का खुलासा होगा की गोली किसने चलाई. जितेंद्र वारदात के वक्त छुट्टी पर बुलंदशहर अपने गांव आया हुआ था.
यूपी के डीजीपी ने कहा- बड़ी साजिश
उधर, दो दिन पहले यूपी के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने कहा था कि बुलंदशहर में हुई घटना एक बड़ा षड्यंत्र है. यह केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, सवाल ये है कि मवेशियों के अवेशष वहां कैसे पहुंचे? उन्हें किन परिस्थितियों में कौन लेकर आया और क्यों?
UP DGP O P Singh: The incident in #Bulandshahr is a big conspiracy. This is not only a law and order issue, how did the cattle carcass reach there? Who brought it, why & under what circumstances? pic.twitter.com/Zs2YQZw4br
— ANI UP (@ANINewsUP) 5 December 2018
मुख्य आरोपियों का सुराग नहीं
बुलंदशहर हिंसा के दौरान बनाए गए कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं. जिनसे हिंसा में शामिल कई अहम नाम भी सामने आए हैं. लेकिन अभी तक पुलिस की तरफ से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया. हैरानी की बात तो ये है कि घटना को 4 दिन बीत चुके हैं. यूपी के डीजीपी खुद गहरी साजिश की बात कह चुके हैं. लेकिन हिंसा का मुख्य आरोपी योगेश राज अभी तक फरार है.
पुलिस की नीयत पर सवाल
पुलिस ने गोकुशी के आरोप में जो मुकदमा दर्ज किया है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं. पुलिस ने जिन लोगों को आरोपी बनाया है. उसमें दो बच्चे भी शामिल हैं. इस पूरे मामले में आरोपियों के प्रति पुलिस का नर्म रुख हैरान करने वाला है. अभी तक पुलिस शातिर योगेश राज और उसके साथी बीजेपी नेता शिखर अग्रवाल का सुराग नहीं लगा पाई और वे दोनों वीडियो जारी कर अपनी सफाई दे रहे हैं.
क्या हुआ था उस दिन?
बीती 3 दिसंबर को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के एक खेत में गोकशी की आशंका के बाद बवाल शुरू हुआ. जिसकी शिकायत मिलने पर सुबोध कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे थे. इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही थी, इतने में ही तीन गांव से करीब 400 लोगों की भीड़ ट्रैक्टर-ट्राली में कथित गोवंश के अवशेष भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास पहुंच गई और जाम लगा दिया. भीड़ का नेतृत्व बजरंग दल के नेता योगेश राज और बीजेपी नेता शिखर अग्रवाल कर रहे थे.
इसी दौरान भीड़ जब उग्र हुई तो पुलिस ने काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े और जल्द ही वहां फायरिंग भी होने लगी. जिसमें सुबोध कुमार घायल हो गए और एक युवक भी जख्मी हो गया. सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाने से रोका गया और उनकी कार पर जमकर पथराव भी किया गया. अब पुष्टि हुई है कि सुबोध कुमार की मौत गोली लगने से हुई है.
आपको बता दें कि बुलंदशहर के जिलाधिकारी के अनुसार, सुबोध कुमार के सिर में गोली लगी थी, जिस कारण उनकी मौत हुई है. उन्होंने यह भी बताया है कि हमले के बाद जब सुबोध कुमार ने खेत की तरफ जाकर खुद को बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उन पर वहां भी हमला किया.