बुलंदशहर हिंसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के आरोपी सेना के जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी से 10 घंटे लंबी पूछताछ की गई. इस दौरान जीतू से कई सवाल पूछे गए. हालांकि इस मामले में पुलिस अभी तक हिंसा के मुख्य आरोपी और साजिशकर्ता बजरंग दल नेता योगेश राज और बीजेपी नेता शिखर अग्रवाल को गिरफ्तार नहीं कर सकी है.
यूपी एसटीएफ ने जब जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात 22 राजपूताना राइफल्स का जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को गिरफ्तार करने के बाद उससे लगातार 10 घंटे तक पूछताछ की. SIT और STF ने इस लंबी पूछताछ के दौरान उससे करीब 500 सवाल पूछे.
हालांकि बुलंदशहर हिंसा का मास्टरमाइंड बजरंग दल का नेता योगेश राज अब तक पुलिस के शिकंजे से बाहर है. वही नहीं उसका दूसरा साथी बीजेपी नेता शिखर अग्रवाल भी अभी तक फरार है. इस मामले में अब SIT रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है.
इससे पहले बुलंदशहर हिंसा के आरोपी शिखर अग्रवाल का वीडियो भी सामने आया था. जिसमें वो उंगली उठाकर खुद को बेगुनाह बता रहा था. उस वीडियो को देखने के बाद लोगों को गुस्सा भी आया था. आरोपी बीजेपी नेता ने शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया था. उन्हें गालियां दी थी.
उससे पहले हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता योगेश राज ने भी एक वीडियो मैसेज जारी किया था. उसने भी खुद को बेगुनाह बताया था. उसका कहना था कि वो घटना के वक्त थाने में था. उसे नहीं पता कि हिंसा कैसे भड़की. किसने इंस्पेक्टर का मर्डर किया. वीडियो में उसका हुलिया भी बदला हुआ था. वो क्लीन शेव नजर आ रहा था.
बात-बात पर एनकाउंटर करने वाली यूपी पुलिस अभी तक हिंसा के दो मुख्य आरोपियों को खोज नहीं पा रही है. बड़े-बड़े दावे करने वाली यूपी पुलिस इस मामले में बेबस और लाचार नजर आ रही है. जबकि सबकी निगाहें यूपी पुलिस पर ही लगी हैं. ख़ाकी वर्दी पर सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर वो अपना फ़र्ज कब निभाएगी. कब बुलंदशहर हिंसा के दरिंदों को गिरफ्तार कर जेल भेजेगी.
क्या है मामला
बता दें, 3 दिसंबर को बुलंदशहर में गोकशी के शक में भड़की हिंसा के दौरान यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस हिंसक भीड़ में जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात 22 राजपूताना राइफल्स का जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी भी शामिल था. पुलिस ने फौजी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की थी.
हिंसा के बाद गिरफ्तार लोगों से पूछताछ और हिंसा के वीडियो खंगालने के बाद पुलिस को शक हुआ कि गोली शायद जीतू फौजी ने ही चलाई थी. इसके बाद पुलिस ने जीतू फौजी के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करवाया और यूपी एसटीएफ की दो टीम 6 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर पहुंची. बुलंदशहर में मौजूद यूपी एसटीएफ के अधिकारियों ने आर्मी के अधिकारियों से संपर्क साधा और बुलंदशहर की घटना में जितेंद्र फौजी के शामिल होने के बारे में बताया और पुलिस को हैंडओवर करने को कहा.
यूपी एसटीएफ के अधिकारियों ने बताया कि आर्मी के सीनियर अफसर से जब संपर्क किया तो उसी वक्त आर्मी के बैरक में जीतू फौजी को हिरासत में रखा गया. लेकिन आर्मी के अफसरों ने जम्मू-कश्मीर में जीतू फौजी को यूपी पुलिस को नहीं सौंपा. दरअसल, घाटी में जवानों की हत्या के बाद से सेना काफी अलर्ट है, इसलिए आर्मी के अधिकारियों ने खुद जीतू फौजी को एसटीएफ के हवाले किया.