दिल्ली क्राइम ब्रांच बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के राज से पर्दा उठाने के लिए दिन रात हर संभव प्रयास कर रही है. जांच के दौरान क्राइम ब्रांच को ललित और उसके परिवार के बेहद करीबी दो राजदारों के बारे में पता चला है, जिनसे क्राइम ब्रांच पूछताछ करने की तैयारी कर रही है. क्राइम ब्रांच को उम्मीद है कि इन दोनों से कुछ अहम जानकारियां हाथ लग सकती हैं.
हालांकि पुलिस ने अभी उन लोगों की पहचान जाहिर नहीं की है. क्राइम ब्रांच के सूत्रों की मानें तो क्राइम ब्रांच की पहली जो टीम उस घर में पहले दिन दाखिल हुई थी, वो टीम खुद इस मामले को हत्या मान रही थी. ऐसा इसलिए क्योंकि जब टीम ने मौका-ए-वारदात का मुआयना किया और रसोई में देखा तो रसोई में सुबह के नाश्ते की तैयारी की गई थी. एक बर्तन में चने भीगो कर रखे गए थे और एक बर्तन में दही जमा कर रखी गई थी.
सूत्रों की मानें तो ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उनको ये नहीं मालूम था कि उनकी मौत हो जाएगी. क्योंकि रजिस्टर के मुताबिक वो परमात्मा से मिलकर वापस आने वाले थे. बुराड़ी में 11 मौतों ने सबको सन्न करके रख दिया. लेकिन धीरे धीरे रहस्य, अनुमान, आशंका, तंत्र-मंत्र की आड़ में छुपी इस कहानी के कई सिरे पकड़ में आने लगे हैं. सबसे बड़ा सबूत और गवाह वो रजिस्टर है, जो बुराड़ी की हत्याओं की इनसाइड स्टोरी बता रहा है.
सूत्रों के मुताबिक बुराड़ी कांड के सूत्रधार के रूप में परिवार के छोटे बेटे ललित पर शक की सुई आकर टिक गई है. घर में बरामद हुए रजिस्टर, डायरी और बाकी सबूतों से इशारा मिल रहा है कि तंत्र-मंत्र के फेर में ही बुराड़ी का भाटिया परिवार हमेशा-हमेशा के लिए उजड़ गया.
आवाज लौट आने के बाद तो ललित को अपने पिता लगातार दिखाई देने लगे. वो उनके आदेशों को सुनने और मानने लगा. पिता का असर अब उस पर ऐसा था कि वो उनकी आवाज़ भी हूबहू निकालने लगा. ललित का दावा था कि मृत पिता भोपाल सिंह उसके जरिए पूरे परिवार से संपर्क में बकौल पुलिस ललित अपने पिता के हर आदेश को उन रजिस्टरों में लिखता गया जो घर से बरामद हुए हैं. भाटिया परिवार को भी ललित के इन अहसासों पर अंधा भरोसा था, इसलिए वो ललित के बताए अनुसार ही काम करते थे. एक रोज़ ललित के पिता ने उसे परिवार से उनकी मुलाकात कराने का आदेश भी दिया.
एक रजिस्टर में ललित ने पिता का हवाला देते हुए लिखा है, 'मैं कल या परसों आऊंगा, नहीं आ पाया तो फिर बाद में आऊंगा.' रजिस्टर में लिखी हर बात ललित लिख रहा था. वो पिता से मिलने के बाद अब इसी रजिस्टर में भगवान से मिलने की भी बात लिखने लगा. सारी बातें इस तरह लिखी गईं जैसे पिता भोपाल सिंह लिख रहे हों. रजिस्टर में आगे लिखा था, 'तुम्हें पता है कि भगवान कभी भी हमारे घर में आ सकते हैं इसलिए पूरी तैयारी रखो.' बीते शनिवार की रात और रविवार के बीच जो कुछ भाटिया परिवार ने किया उस के बारे में भी ललित ने रजिस्टर के एक पन्ने पर तफ्सील से सबकुछ लिखा है.
'आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी. लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज़ कर देना, मैं तुम्हें बचा लूंगा. जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना. तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे.' शायद यही वह आदेश था जिसे पूरा करने के फेर में पूरे परिवार की जान चली गई.
घर खंगालने के दौरान पुलिस को कई डायरियां और रजिस्टर मिले हैं. इनमें 200 पन्नों का वो रजिस्टर सबसे अजीब है, जो पूजास्थल पर रखा हुआ था. इस पर 27 मई 2013 से लिखने की शुरुआत हुई थी, जो बीच में बंद हो गई. लेकिन इसके बाद फिर 2015 में रजिस्टर में कुछ बातें लिखी गईं. इस साल जनवरी महीने से रजिस्टर में तरह-तरह की बातें लिखी जाती थीं.
पुलिस को पता चला है कि ललित ये बातें लिख कर रजिस्टर पूजास्थल में रख देता था और रजिस्टर में लिखी बातों के हिसाब से ही इस परिवार के लोग अपनी दिनचर्या यानी रूटीन तय करते थे. अब हाल के दिनों में लगातार हो रही एंट्री को देख कर ये साफ़ है कि ललित इन दिनों इस खास किस्म की मानसिक बीमारी से कुछ ज़्यादा ही ग्रसित था.