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CBI ने छोटा राजन की जमानत का किया विरोध, कहा- वो कोई आम अपराधी नहीं

स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रदीप घरात ने जज अनुजा प्रभुदेसाई की अध्यक्षता वाली एकल पीठ को बताया कि राजन के खिलाफ कई मामले लंबित हैं. यही नहीं उसे कई अन्य मामलों में दोषी भी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है.

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गैंगस्टर छोटा राजन (फाइल फोटो)
गैंगस्टर छोटा राजन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • छोटा राजन ने लगाई जमानत की अर्जी
  • सीबीआई ने किया जमानत अर्जी का विरोध

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में छोटा राजन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह कोई आम अपराधी नहीं है और उसके मामले को अन्य अपराधियों के बराबर नहीं रखा जा सकता है.

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स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रदीप घरात ने जज अनुजा प्रभुदेसाई की अध्यक्षता वाली एकल पीठ को बताया कि राजन के खिलाफ कई मामले लंबित हैं. यही नहीं उसे कई अन्य मामलों में दोषी भी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है. घरात ने तर्क दिया कि गैंगस्टर, देश के लिए 'जेड प्लस सुरक्षा खतरा' था. 

घरात ने इस बात पर जोर दिया कि जिन परिस्थितियों में राजन को बाली में पकड़ा गया था, उन पर विचार किया जाना चाहिए. राजन भारत से भाग गया था और फर्जी नामों और पासपोर्ट पर कई अन्य देशों की यात्रा की थी, आपराधिक गतिविधियों में लिप्त था, इससे पहले कि उसे नवंबर 2015 में गिरफ्तार किया गया और भारत में प्रत्यर्पित किया गया. 

साल 2015 से तिहाड़ में है छोटा राजन

छोटा राजन, साल 2015 से नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में है. उसे भारत में कई मामलों में दोषी ठहराया गया है और अब वह एक होटल व्यवसायी की हत्या के प्रयास के मामले में अंतरिम जमानत की मांग कर रहा है. राजन ने तीन मामलों के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में अपील दायर की है. अक्टूबर 2012 का होटल व्यवसायी गोलीबारी मामला. अगस्त 2013 का मॉल शूट आउट मामला और 2015 का पनवेल रंगदारी मामला. 

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राजन की ओर से पेश हुए वकील सुदीप पासबोला ने होटल व्यवसायी गोलीबारी मामले में दलील दी और कहा कि मामले में गैंगस्टर के खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है. पासबोला ने राजन की तरफ से अदालत से कहा, 'मुझे साजिश के तहत दोषी ठहराया गया है. मामले के अन्य सभी आरोपी, जिनमें वास्तविक हमलावर भी शामिल हैं, जमानत पर बाहर हैं, इसलिए मैं समानता का पात्र हूं.'

इस पर घरात ने यह कहते हुए तर्क का विरोध किया कि राजन अप्रैल 2016 से मामले में सीबीआई की हिरासत में था, उसके सह-आरोपी, जिन्हें जमानत दी गई थी, 2009 से हिरासत में थे. इसके अलावा, राजन के खिलाफ अभी भी 14 से 15 मामले लंबित हैं. हालांकि लंबी बहस के बाद जज प्रभुदेसाई दो सप्ताह के बाद याचिका पर सुनवाई जारी रखेंगे.

 

 

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