केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की 2018 में बागपत जिला जेल में हुई हत्या के मामले की जांच का जिम्मा संभाल लिया है. सीबीआई जेल प्रशासन की भूमिका की जांच करेगी. जांच एजेंसी ये पता लगाएगी कि हत्या के 12 घंटे पहले मुन्ना बजरंगी को बागपत जेल में क्यों लाया गया था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुन्ना बजरंगी की हत्या की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इस केस में लंबे वक्त से सीबीआई जांच की मांग उठ रही थी. मुन्ना बजरंगी की हत्या 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में हो गई थी. इस मामले में उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने राज्य के एक जेलर और एक डिप्टी जेलर को बर्खास्त किया था.
बाहुबली मुन्ना बजरंगी की हत्या के दौरान बागपत जेल के जेलर उदय प्रताप सिंह को जांच के बाद बर्खास्त किया गया था. इसके अलावा डिप्टी जेलर धीरेंद्र कुमार सिंह भी बर्खास्त किए गए थे.
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इस हत्याकांड में कुख्यात बदमाश सुनील राठी का नाम सामने आया था. दावा किया जा रहा था कि सुनील राठी के इशारे पर ही उसके गुर्गों ने मुन्ना बजरंगी को गोली मारी थी. उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अपराध जगत में सुनील राठी का नाम कुख्यात रहा है.
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2005 में मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय पर बरसाई थीं गोलियां
मुन्ना बजरंगी को 8 से 10 गोलियां मारी गई थीं. मुन्ना बजंरगी ने साल 2005 में गाजीपुर के विधायक कृष्णानंद राय पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं. मुन्ना बजरंगी एक ऐसा नाम था, जो कभी उत्तर प्रदेश और बिहार में बाहुबलियों की ताकत बनकर उभरा था. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद फरार हुए मुन्ना को लगातार 2 साल की मेहनत के बाद 2009 में मुंबई से गिरफ्तार किया जा सका था.