छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में तैनात अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पवन देव के खिलाफ हाईकोर्ट ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. एडीजीपी पर एक महिला कांस्टेबल ने यौन शोषण करने का आरोप लगाया था.
पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी. बी. राधाकृष्णन की युगल पीठ ने छत्तीसगढ़ शासन और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 45 दिन के भीतर ADGP पवन देव के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
एक महिला कांस्टेबल ने एडीजीपी पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. मामले की जांच के लिए 4 सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई थी. जिसमें एक महिला आईएएस और तीन महिला आईपीएस अधिकारी शामिल थीं. कमेटी ने अपनी जांच में पीड़ित कांस्टेबल के आरोपों को सही पाया था. जांच में पाया गया कि सेक्स डिमांड के लिए कांस्टेबल के मोबाइल नंबर पर आईजी के बंगले से फोन किए गए थे.
महिला कांस्टेबल ने उसे किए गए फोन कॉल रिकॉर्ड भी किए थे. जिनकी ऑडियो जांच कमेटी को सौंपी गई थी. इसके अलावा कई और ऐसे तथ्य प्रमाणित पाए गए जो महिला कांस्टेबल ने आरोपी पर लगाए थे. जांच पूरी करने के बाद विशाखा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंप दी थी.
लेकिन उस रिपोर्ट को सौंपे जाने के डेढ़ साल बाद भी पुलिस मुख्यालय ने एडीजीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. रिपोर्ट राज्य के गृह मंत्रालय को सौंपी गई. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अंत में पीड़ित महिला कांस्टेबल ने एक जनहित याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई.
हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि कामकाजी महिलाओं के प्रताड़ना सम्बंधित अधिनियम 2013 का पालन पुलिस मुख्यालय नहीं कर रहा है. यह भी कहा गया कि पुलिस मुख्यालय के अधीन ऐसा कोई फोरम नहीं है, जहां पीड़ित महिला पुलिसकर्मी अपनी शिकायत दर्ज करा सकें. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विशाखा कमेटी की रिपोर्ट पर 45 दिन के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि यौन उत्पीड़न का यह मामला उस वक्त का है, जब सीनियर आईपीएस अधिकारी पवन देव बतौर आई.जी. बिलासपुर रेंज में तैनात थे. इस दौरान मुंगेली जिले में पदस्थ एक महिला कांस्टेबल आधी रात को उस वक्त परेशान हो जाती थी, जब मोबाइल और फोन नंबरों से कॉल करके आईजी पवन देव उसे सेक्स करने के लिए अपने बंगले पर बुलाने का फरमान जारी करते थे.
आईजी से परेशान होकर महिला कांस्टेबल ने अपनी आपबीती डीजीपी और मुख्य सचिव को बतौर शिकायत प्रेषित की. इससे पहले पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक मुंगेली को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन एसपी ने अपने आईजी के खिलाफ शिकायत स्वीकार करने से इंकार कर दिया था.
जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित महिला कांस्टेबल ने आईजी की सेक्स गुहार वाली ऑडियो रिकॉर्डिंग आला अफसरों और गृह मंत्री तक पहुंचाई. महिला आयोग में भी शिकायत की. इसके बाद ही राज्य सरकार ने विशाखा कमेटी का गठन कर सीनियर आईएएस अधिकारी रेणु पिल्लै की अध्यक्षता में छानबीन शुरू की थी. कमेटी ने ADGP पवन देव के खिलाफ सारे आरोप सही पाए थे.