छत्तीसगढ़ राज्य में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो फर्जी डिग्री बनाने से लेकर सरकारी नौकरी लगवाने तक का ठेका ले रहा है. इस गिरोह का खुलासा तब हुआ, जब इसके सदस्यों ने 60 हजार में रुपये में एक शख्स को फर्जी डिग्री बनाकर दी और फिर उससे तीन लाख रुपये लेकर उसका लाइब्रेरियन के पद पर चयन भी करा दिया. जब आवेदक नौकरी ज्वाइन करने पहुंचा तो गिरोह का सच सबके सामने आ गया.
जब पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल की तो इस गिरोह के लगभग दो दर्जन ठगों का पर्दाफाश हो गया. इसमें से आधा दर्जन ठगों को अलग अलग इलाकों से गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि इस गैंग का मुख्य सरगना और उसके अन्य पांच साथी अभी पुलिस की पकड़ से दूर हैं.
पुलिस के मुताबिक कवर्धा के संजय दुबे, साजा के पंकज शर्मा, अजय कश्यप और घनश्याम यादव का नाम आरोपियों के रूप में सामने आया है. मुख्य आरोपी भी साजा इलाके का रहने वाला है. लेकिन अब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. पुलिस उसकी तलाश में जुटी है.
पुलिस ने बताया कि लाइब्रेरियन के भर्ती के दौरान ठगों ने पीड़ितों के लिए आवेदन पत्र भरे थे. इसके बाद आरोपियों ने डिग्री बनाने से लेकर लाइब्रेरियन की भर्ती परीक्षा में आवेदकों को चयन कराने तक पूरा ठेका ले रखा था. इस काम के लिए उन्होंने आवेदकों से जमकर वसूली की थी. इन ठगों ने राज्यभर में सैकड़ों लोगों को चूना लगाया है.
इस गिरोह ने शिक्षाकर्मी भर्ती में भी बड़ी ठगी को अंजाम दिया था. और कई लोगों से लाखों की रकम वसूली थी. इसी गिरोह ने वर्ष 2012-13 में बालोद और दुर्ग जिले में कई शिक्षाकर्मियों की डिग्री फर्जी निकली थी. लाइब्रेरियन के पद पर आवेदन करने वालों में फर्जी डिग्री इस्तेमाल करने के 32 मामले सामने आए हैं.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस संबंध में ठगी के 8 नए मामले दर्ज किए हैं. आरोपी शांति भास्कर और उमेश कुमार समेत 6 के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है.