ब्लड डोनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा
इस गोरखधंधे के सामने आने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम इस खेल से जुड़े अन्य लोगों की भी सरगर्मी से तलाश कर रही है. चंदौली कोतवाली पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. यह दोनों लोग गांव में रहने वाले भोले-भाले लोगों को बहला-फुसलाकर पैथोलॉजी तक ले आते थे और उनसे ब्लड लेते थे. ब्लड डोनर को एक यूनिट खून के बदले सत्रह सौ रुपये का भुगतान किया जाता था.
अस्पतालों को बेचते थे खून
जबकि ये पैथोलॉजी इस ब्लड को चंदौली के ही एक निजी अस्पताल में भारी कीमत पर बेच देते थे. जहां पर मरीजों से खून चढ़ाने के नाम पर 8 से 10 हजार रुपये वसूले जाते थे.
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ब्लड डोनर को पैथालाजी तक ले आने वाले इन लोगों को प्रति केस आठ सौ रुपये मिलते थे. चंदौली पुलिस को जानकारी मिली थी कि भानु प्रताप नाम का एक युवक खून के अवैध कारोबार में लिप्त है. यह शख्स ग्रामीण इलाके से लोगों को बहला-फुसलाकर उनका खून निकलवाकर अस्पतालों में सप्लाई करता है. पुलिस ने जाल बिछाया और इस मामले में भानु प्रताप और उसके एक साथी को दो यूनिट ब्लड के साथ गिरफ्तार कर लिया.
अस्पताल संचालक से पूछताछ
इस मामले में पुलिस अस्पताल के संचालक डॉ. के पी सिंह से पूछताछ कर रही है. पैथोलॉजी के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है.
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इस गोरखधंधे का पर्दाफाश होने के बाद जिले के स्वास्थ्य महकमे में भी हड़कंप मच गया है. आनन-फानन में एडिशनल सीएमओ के नेतृत्व में जांच टीम बनाई गई है. ये टीम अस्पताल के रिकॉर्ड की जांच कर रही है.