मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक ऐसे ठग को एसटीएफ ने पकड़ा है जिसका ठगी करने का अंदाज अजीब था. आरोपी आईपीएस और आईएएस अधिकारी के नाम का दुरुपयोग कर लोगों से धोखाधड़ी करता था.
आरोपी ने ट्रू कॉलर एप की प्रोफाइल में स्वयं के कई नंबरों को आईपीएस विपिन माहेश्वरी और अन्य प्रभावी नामों से सेव कर रखा था जिससे इन्हीं प्रभावी नामों से लोगों को फोन कर उन्हें अपनी जालसाजी का शिकार बनाता था. उज्जैन एसटीएफ पुलिस ने आईपीएस अधिकारी बनकर लोगों से लूट करने वाले आरोपी ज्योतिर्मय विजयवर्गीय निवासी इंदौर को गिरफ्तार किया है.
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वर्तमान में हुए घटनाक्रम में आरोपी ने इंदौर से भोपाल जाते समय टोल टैक्स पर स्वयं को आईपीएस अधिकारी बताते हुए फरियादी जितेंद्र कुमार जाट को फोन लगाकर बिना टैक्स दिए पास करने को कहा और वहां पहुंचकर रौब दिखाते हुए 3-4 परिचितों को टोल पर नौकरी लगवाने की बात कही.
कई थानों में दर्ज हैं अपराध
इस शिकायत पर उज्जैन पुलिस ने मामले की गंभीरता देखते हुए आरोपी ज्योतिर्मय विजयवर्गीय को गिरफ्तार किया. आरोपी के खिलाफ इंदौर, भोपाल सहित कई थानों में अपराध पंजीबद्ध होना पाया गया है. साथ ही लगभग 11 मोबाइल फोन भी जब्त किए गए है.
सभी फोन के नंबर के आखिरी के 3- 4 डिजिट सेम पाई गई हैं जिससे लोगों को वीआईपी नंबर होने का आभास होता था. आरोपी ने सभी नंबर ट्रू कॉलर पर अलग-अलग लोगों के नाम से सेव किये थे. फिलहाल पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है.
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वीआईपी नंबर करता था इस्तेमाल
अभी जो घटनाक्रम हुआ है उसमें इंदौर से भोपाल जाते समय इसने टोल टैक्स पर स्वयं को आईपीएस बताया और जिस फोन नंबर से फोन किया था, वह ट्रूकॉलर में आईपीएस के नाम से सेव कर रखा था और लास्ट में इसका नंबर 555 था.
अमलाहा टोलटैक्स पर यह रुका था और वहां भी इसने स्वयं को आईपीएस बताया और कहा कि 3-4 लड़के मेरे हैं, उनको आपको भर्ती करना है. जब ये जानकारी मिली तो एसटीएफ में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया औऱ इसको गिरफ्तार किया गया.
घर से मिली 100 चेकबुक और 11 सिम
गिरफ्तार करके जब इसके घर की तलाशी ली गई तो 100 से अधिक चेकबुक मिली हैं. कई सारे उसके बैंक खाते हैं. इसके घर में जो नौकरानी काम करती थी, उसके नाम से और कई अन्य व्यक्तियों के नाम से खाते खुलवा रखे हैं. बहुत सारी सिम इसके पास से मिली हैं. कुल 7 सिम तो यूज़ कर रहा है. इसके अलावा 4 सिम और हैं जो पता लगी हैं. टोटल 11 मोबाइल फोन इसके पास से मिले हैं. आरोपी के पास से फॉर्च्यूनर कार भी मिली.
कई जगह पर इसके और भी अपराध और शिकायतें होना पता लगी हैं. उज्जैन में इंगोरिया थाने में एक बैंक ने इसके खिलाफ फर्जीवाड़े का प्रकरण पंजीबद्ध कराया था.इंदौर के लसूड़िया थाने पर भी प्रकरण पंजीबद्ध है. मुंबई में भी इसके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध है क्योंकि सभी इसके नंबर हैं वो इस तरह की सीरीज के है जिनके लास्ट के 3 या 4 डिजिट सैम हैं तो लोगों को लगता है कि वीआईपी नंबर है. यह सभी नंबर अलग-अलग नाम से सेव हैं इसमें पुलिस अधिकारी भी है, नेता भी हैं. इस मामले में जांच की जा रही है.