सेक्स सीडी कांड में फंसे पत्रकार विनोद वर्मा की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद आज छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें रायपुर जिला अदालत में पेश किया. वहां कोर्ट ने विनोद वर्मा को 13 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. भरी अदालत में जज ने पत्रकार से पूछा कि पुलिस हिरासत में उन्हें प्रताड़ित तो नहीं किया गया है, तो उन्होंने इंकार कर दिया.
जानकारी के मुताबिक, पत्रकार विनोद वर्मा को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया था. यहां करीब 15 मिनट तक चली सुनवाई में अदालत ने पुलिस का पक्ष सुना और फिर पत्रकार विनोद वर्मा की दलील सुनने के बाद पूछा कि पुलिस हिरासत में आपके साथ दुर्व्यवहार तो नहीं हुआ या प्रताड़ित तो नहीं किया गया. इस पर उन्होंने सिर हिलाते हुए इंकार किया.
इसके बाद अदालत ने उन्हें 13 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. हालांकि पूछताछ शुरू होने के बाद पुलिस ने उनकी पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाने के लिए कोई जोर नहीं दिया. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि विनोद वर्मा से पुलिस अपनी तफ्तीश पूरी कर चुकी है. चंद मिनटों में ही अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजे जाने का वारंट काट दिया.
इससे पहले कोर्ट ने विनोद वर्मा को 3 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था. पेशी के दौरान उनकी जमानत को लेकर वकीलों ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर सीधा हमला किया था. वर्मा के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि उनकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने ना तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन किया और ना ही पुलिस एक्ट का.
वकीलों ने कहा की डर्टी सीडी मामले में मंत्री को बचाने के लिए पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी कर उनपर दबाव बनाया जा रहा है. पत्रकार विनोद वर्मा ने भी अदालत से शिकायत की कि स्लिप डिस्क से होने वाले दर्द के बावजूद पुलिस उन्हें प्रताड़ित करने के लिए दिल्ली से रायपुर तक सड़क मार्ग से लाई. उनके वकील ने पुलिस रिमांड का विरोध भी किया था.
बताते चलें कि पत्रकार विनोद वर्मा को 26 और 27 अक्टूबर की दरमियानी रात में उनके गाजियाबाद स्थित निवास से छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस उन्हें तीन दिन के ट्रांजिट रिमांड पर गाजियाबाद से रायपुर लाई थी. रायपुर के पंडरी थाने में ब्लैकमेलिंग के एक मामले में विनोद वर्मा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.