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दिल्ली बनी चाइल्ड लेबर की राजधानी, 3 नाबालिगों ने भागकर बचाई जान

भागने में कामयाब रहे तीनों बच्चों से जहांगीरपुरी में एक फैक्ट्री में बंधक बनाकर जबरन काम करवाया जाता था. जहांगीरपुरी थाना पुलिस और NGO पूरे मामले की जांच कर रहा है.

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तीन बल मजदूरों ने भागकर बचाई जान
तीन बल मजदूरों ने भागकर बचाई जान

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देश की राजधानी दिल्ली में मासूम बच्चों को बंधक बनाकर उनसे जबरन काम करवाने का अवैध धंधा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा. दिल्ली से बालश्रम का एक नया मामला तब सामने आया, जब फैक्ट्री से जान बचाकर भागे तीन बच्चे एक राहगीर की मदद से एक NGO तक जा पहुंचे.

जानकारी के मुताबिक, तीनों बच्चों से जहांगीरपुरी में एक फैक्ट्री में बंधक बनाकर जबरन काम करवाया जाता था. जहांगीरपुरी थाना पुलिस और NGO पूरे मामले की जांच कर रहा है. बच्चे जब भागकर एनजीओ के पास पहुंचे तो उनका स्वास्थ्य काफी खराब था.

इन मासूम बच्चों से कई-कई घण्टे मजदूरी कराई जाती थी. एक ही जगह घण्टों बैठे रहकर लगातार काम करने की वजह से इनके हाथ-पैर इतने अकड़ चुके हैं कि ठीक से सीधे भी नहीं हो पा रहे. तीनों मासूम एनीमिया के भी शिकार हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, उनके शरीह में खून की इतनी कमी हो चुकी है कि रिकवरी में काफी समय लग सकता है.

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पुलिस ने बताया कि तीनों की उम्र 9 से 12 साल के बीच है. तीनों जहांगीरपुरी के D ब्लॉक में चूड़ी बनाने की एक फैक्ट्री में काम करते थे और एक दिन मौका पाकर छत के रास्ते भाग निकले. एक राहगीर से उन्होंने मदद मांगी. राहगीर ने बच्चों की मदद के लिए 'प्रयास' NGO को फोन किया.

सूचना मिलते ही एनजीओ तीनों मासूमों को अपने साथ अपने 'प्रयास चिल्ड्रन होम' ले गई और जहांगीरपुरी पुलिस को सूचना दी. पुलिस और एनजीओ ने तीनों मासूमों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया. इलाज के बाद तीनों को अब चिल्ड्रन होम के क्लिनिक रूम में रखा गया है.

जानकारी के मुताबिक, तीनों बच्चे बिहार के रहने वाले हैं. उन्हें मजदूरी के नाम पर महज 2000 रुपये महीना मेहनताना मिलता था. लेकिन अभी ये भी साफ नहीं है कि वो पैसा इनके माता पिता को दिया जाता था या फिर जो उन्हें बिहार से यहां लेकर आने वाले दलाल को.

बता दें कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना कानूनन अपराध है और इसके लिए कड़े कानून बनाए गए हैं. इसके बावजूद देश की राजधानी से आए दिन बालश्रम के वाकये सामने आते रहते हैं. NGO प्रयास के मुताबिक अब भी जहांगीरपुरी इलाके में 1000 से ज्यादा चाइल्ड लेबर काम कर रहे हैं.

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एनजीओ का कहना है कि इसकी वजह दिल्ली पुलिस द्वारा बालश्रम करवाने वाले फैक्ट्री के मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करना है. मासूमों ने बताया कि फैक्ट्री में उनके इलावा चार और बच्चे काम करते हैं. लेकिन जब एनजीओ के साथ पुलिस फैक्ट्री पहुंची तो फैक्ट्री मालिक ने चारों बच्चों को वहां से गायब कर दिया था और खुद भी फैक्ट्री बंद कर फरार हो चुका था.

फिलहाल इस मामले के सामने आने के बाद तीनों बच्चों को CWC में पेश किया गया. SDM मॉडल टाउन वीरेन्द्र सिंह और जहांगीरपुरी थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है. बिहार के DCP को भी इसकी जानकारी दे दी गई है, ताकि तीनों मासूमों को उनके परिजनों के पास भेजा जा सके.

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