चीन की सरकार और रूस की मीडिया इस वायरस को अमेरिकी साजिश बताने के लिए जो तर्क दे रहे हैं. उससे अमेरिका बैकफुट पर है. अब तक खुद अमेरिका कोरोना को चीनी लैब से निकला वायरस साबित करने में जुटा था. मगर अब इन तमाम दावों के बाद वो दुनिया और अपने मुल्क की जनता को ये समझाने में लगा है कि इन अफवाहों में ना आएं. वैसे आपको बता दें कि अब खुद अमेरिका में कोरोना का वारयस बेहद तेजी से फैल रहा है.
अमेरिका पर शक की नजरें
चीन और ईरान की बर्बादी के बाद जब शक की नजरें अमेरिका की तरफ उठने लगीं तो अमेरिका ने कोरोना वायरस को लेकर रूस, चीन और ईरान को कटघरे में खड़ा कर दिया. अमेरिका ने कहा कि कोरोना यानी COVID-19 के बारे में अगर इन देशों ने सही जानकारी दी होती तो इसे फैलने से रोका जा सकता था. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने तो इन तीनों देशों पर कोरोना को लेकर 'दुष्प्रचार' फैलाने का भी आरोप लगा दिया है.
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कोरोना वायरस पर अमेरिका की सफाई!
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि चीन, रूस और ईरान ने कोरोना वायरस को लेकर अगर सही जानकारी दी होती तो इसके प्रसार को रोका जा सकता था. कोरोना को लेकर बुरी तरीके से दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि जिस किसी को इससे संबंधित कोई जानकारी मिलती है. वो सोर्स की जांच जरूर करे. कई सारे 'बुरे एक्टर' अफवाह फैला रहे हैं जो कि पूरी तरह गलत है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का ये बयान साफ इशारा कर रहा है कि दुनिया को कोरोना वायरस से चीन और ईरान की बर्बादी के बाद लॉजिक समझने में आने लगा है और अमेरिका ये नहीं चाहता कि दुनिया में उसके खिलाफ हवा तैयार हो जाए.
माइक पोम्पियो ने कहा कि कई जगह ऐसी सूचना प्रसारित की जा रही है कि COVID-19 अमेरिकी सेना की वजह से पैदा हुआ है. और इसी वजह से अमेरिका में लॉकडाउन किया गया है. जबकि हम तो खुद कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. सभी अमेरिकीवासियों से अपील है कि वो इस तरह की जानकारियों पर विश्वास ना करें.
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USA की नीयत पर सवाल
अमेरिका की नीयत पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि अभी कुछ दिनों पहले तक तो अमेरिका कह रहा था कि ये जानलेवा कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से पैदा हुआ और चीनी अधिकारियों की गलती से पहले चीन में और फिर दुनियाभर में फैल गया. जबकि अब अमेरिकी विदेशमंत्री इसके लिए रूस और ईरान को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जबकि हकीकत ये है कि खुद चीन और ईरान को अमेरिकी सैंक्शन्स की वजह से इस जानलेवा महामारी पर काबू पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
अमेरिकी सांसद ने चीनी पार्टी पर साधा निशाना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो कोरोना वायरस को लगातार चीनी वायरस कह रहे हैं. हालांकि कोराना वायरस को किसी देश के नाम से जोड़ने पर ट्रंप की आलोचना हो रही है. मगर ट्रंप को लगता है कि कोरोना को चीनी वायरस कहने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि ये वायरस आया ही वहीं से है. अमेरिका में अकेले ट्रंप या विदेश मंत्री माइल पोम्पियो ही नहीं बल्कि अमेरिकी सांसद टॉम कॉटन भी कोरोना वायरस के फैलने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं. तब उन्होंने कहा था कि ये वायरस मानवनिर्मित जैविक हथियार हो सकता है. और बहुत मुमकिन है कि ये वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी से लीक हुआ है. उन्होंने तो चीन को अपने दावे को गलत साबित करने की चुनौती भी दे डाली है.
हालांकि अभी तक कोई भी ऐसा सबूत नहीं मिला है जिससे ये साबित हो सके कि ये कोरोना वायरस किसी लैब में पैदा किया गया हो. उल्टे दुनिया भर की यूनिवर्सिटी और वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं कि ये वारसल लैब से नहीं बल्कि जानवरों से इंसान में पहुंचा है. बहुत मुमकिन है कि ये ट्रांसमिशन यानी एक से दूसरे तक पहुंचने की प्रक्रिया चमगादड़ से हुई हो. क्योंकि कोविड-19 की जीनोम सीक्वेंसिंग चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस से 96.2 फीसद मिलती जुलती है.