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BMW केसः दोषी को 2 साल की सजा, जज ने कहा- इससे ज्यादा सजा तो गाय मारने पर है

दिल्ली की एक निचली अदालत ने बहुचर्चित बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन केस में हरियाणा के उद्योगपति के बेटे उत्सव भसीन को दो साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही दोषी पर 12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस दौरान जज ने कहा कि गाय को मारने वालों के लिए 5 साल से लेकर 14 साल (अलग-अलग राज्यों में) तक की सजा है, लेकिन लापरवाह तरीके से की जा रही ड्राइविंग से व्यक्ति की मौत के लिए कानून में सिर्फ दो साल की ही सजा है.

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आरोपी को सुनाई दो साल की सजा (सांकेतिक तस्वीर)
आरोपी को सुनाई दो साल की सजा (सांकेतिक तस्वीर)

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दिल्ली की एक निचली अदालत ने बहुचर्चित बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन केस में हरियाणा के उद्योगपति के बेटे उत्सव भसीन को दो साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही दोषी पर 12 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की रकम में से 10 लाख रुपये मृतक के परिवार को और दो लाख रुपये हादसे में घायल टीवी पत्रकार को दिए जाएंगे.

क्या था मामला

11 सितंबर, 2008 को उत्सव भसीन ने अपनी बीएमडब्ल्यू कार से दक्षिण दिल्ली के मूलचंद फ्लाई ओवर पर दोपहिया वाहन को टक्कर मारी थी. इस हादसे में अनुज सिंह चौहान नामक युवक की मौत हो गई थी, जबकि उसका साथी टीवी पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गया था.

हादसे के वक्त 21 साल का था दोषी

घायल होने के बावजूद टीवी पत्रकार ने भसीन का पीछा कर उसे पकड़वाया. हादसे के समय भसीन 21 साल का था और लोधी कालोनी स्थित एक निजी कॉलेज से बीबीए की पढ़ाई कर रहा था. मौके से फरार होने के बाद भसीन चंडीगढ़ भागने की फिराक में था. शनिवार को सुनाए गए अदालत के फैसले के बाद मृतक के भाई क्षितिज चौहान ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय से अपील करेंगे कि इस मामले में दोषी के खिलाफ कड़ी धाराएं लगाई जाएं.'

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'इससे ज्यादा सजा तो गाय मारने वालों को मिलती है'

वहीं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार ने फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि गाय को मारने वालों के लिए 5 साल से लेकर 14 साल (अलग-अलग राज्यों में) तक की सजा है, लेकिन लापरवाह तरीके से की जा रही ड्राइविंग से व्यक्ति की मौत के लिए कानून में सिर्फ दो साल की ही सजा है. जज संजीव कुमार ने देश में बढ़ते सड़क हादसों पर चिंता जाहिर की. सड़क हादसों के आंकड़ों पर हैरानी जताते हुए जज ने कहा, 'मुझे मजबूरन यह कहना पड़ रहा है कि हमारा देश सड़क हादसों के लिए बदनाम है.'

पीएम मोदी की 'मन की बात' का किया जिक्र

जज ने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' का जिक्र करते हुए कहा कि उस कार्यक्रम में पीएम ने भी चिंता जाहिर करते हुए उस सड़क हादसे का जिक्र किया था, जिसमें राजधानी में एक शख्स सड़क पर खून में 10 मिनट से लथपथ पड़ा था लेकिन कोई उसकी मदद करने आगे नहीं आ रहा था. कोर्ट ने इस आदेश की एक कॉपी प्रधानमंत्री मोदी को भी भिजवाई है, जिससे वह आईपीसी की धारा 304ए के तहत अनुचित सजा के मुद्दे पर विचार कर सकें.

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