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गुरुग्राम: मासूमों के खिलाफ क्राइम बढ़ा, मानव तस्करों की निगाह में बचपन

गुरुग्राम पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि गुरुग्राम में मासूम सुरक्षित नहीं हैं. 2012 से अब तक 1062 बच्चे गुमशुदगी या किडनैपिंग जैसी वारदातों का शिकार हुए हैं, जिनमें से 677 लड़कियां रहीं.

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गुरुग्राम में बीते 5 साल में 1062 बच्चे अगवा या किडनैप
गुरुग्राम में बीते 5 साल में 1062 बच्चे अगवा या किडनैप

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दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम में अपराध के ताजा आंकड़े बेहद डरावने हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, गुरुग्राम में कम उम्र बच्चों पर अपराधियों का निशाना बढ़ा है. 2012 से 2017 के बीच 5 वर्षों में गुरुग्राम से 1062 बच्चे अगवा कर लिए गए या लापता हो गए. इनमें नाबालिगों की संख्या से 677 रही. उनमें भी 365 नाबालिग बच्चों का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है.

आंकड़ों की मानें तो सिर्फ 2017 में ही गुरुग्राम से 154 मासूम किडनैप कर लिए गए लापता हो गए. गायब मासूमों में 115 लड़कियां शामिल हैं. गुरुग्राम पुलिस ने यह आंकड़े जारी किए हैं.

साइबर सिटी गुरुग्राम में लगातार गायब होते मासूम पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. खुले आसमान में चहक रहे इन मासूमों को क्या पता की लालच की टोकरी में नापाक मंसूबा होता है. हाल ही में गुरुग्राम में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां रिश्तों की डोर में फंसाकर या टॉफी का लालच देकर मासूमों की अस्मत का सौदा हुआ.

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गुरुग्राम पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो साफ हो जाता है कि गुरुग्राम में मासूम सुरक्षित नहीं हैं. 2012 से अब तक 1062 बच्चे गुमशुदगी या किडनैपिंग जैसी वारदातों का शिकार हुए हैं, जिनमें से 677 लड़कियां रहीं. इनमें 312 लड़कियों को पुलिस ने सकुशल बरमाद कर लिया, लेकिन 365 लड़कियों का अभी भी कोई सुराग गुरुग्राम पुलिस का चिल्ड्रन मिसिंग सेल नहीं लगा पाया है.

जबकि नाबालिग लड़कों की स्थिति भी साइबर सिटी में गुमशुदगी या अपहरण की ज्यादा सुधरी नहीं है. इसमें भी बीते 5 साल यानी 2012 से 2017 तक 385 नाबालिग बच्चे गुमशुदा हुए या अपहरण कर लिए गए. इनमें से 180 को गुरुग्राम पुलिस ने सकुशल बरमाद कर लिया, लेकिन इनमें भी तकरीबन 205 बच्चों का कोई सुराग गुरुग्राम पुलिस नही लगा पाई है.

आकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा की सर्वाधिक हाईटेक हो चली गुरुग्राम पुलिस के पास बीते 5 साल में किडनैप हुए या लापता हुए तकरीबन 570 बच्चों का अब तक कोई सुराग नहीं है. 2017 में तकरीबन 115 लड़कियां और 39 लड़के साइबर सिटी से अगवा कर लिए गए या गुमशुदा हुए.

इनमें से सिर्फ 36 लड़कियों को बरमाद किया जा सका है, यानी 79 लड़कियां अभी भी लापता हैं. बीते साल तकरीबन 39 लड़के गुरुग्राम से गुमशुदा हुए, जबकि इनमें भी सिर्फ 15 लड़कों को ही गुरुग्राम पुलिस बरमाद कर पाई है, जबकि 24 लड़कों का कोई सुराग नहीं लग सका है.

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जानकारों की मानें तो मानव तस्करी के धंधे से जुड़े लोगों की सेटिंग दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, हरियाणा से लेकर साउथ इंडिया के कई शहरों में भी है. दिल्ली और मुंबई में सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को बेचा जाता है. वहां बच्चों को घरेलू नौकर के तौर पर बेच दिया जाता है.

इतना ही नहीं हरियाणा और राजस्थान में सबसे ज्यादा लड़कियों की सप्लाई होती है. वहां कई ऐसे कस्बे और गांव हैं जहां लड़कियों को शादी करने के लिए बेचा जाता है. दस साल से कम उम्र के बच्चों के गायब होने के पीछे यह भी माना जाता है कि बड़े पैमाने पर भीख मंगवाने वाले गैंग्स का हाथ इसके पीछे होता है.

गुरुग्राम में आधा दर्जन से ज्यादा गैंग अपना जाल बिछाए हुए हैं. यहां सक्रिय गैंग बच्चों को चोरी करने के बाद दूसरे शहरों में सक्रिय गैंग को ट्रांसफर कर देते हैं. इसी तरह दूसरे शहरों से चोरी किए गए बच्चों को गुरुग्राम में लाकर भीख मांगने वाले सक्रिय गैंग को बेच दिया जाता है.

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