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नक्सली हिंसा: 5 साल, 5960 घटनाएं, 2257 मौत...कौन है इसका जिम्मेदार?

छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुई नक्सली वारदात 25 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया है. पिछले 5 साल में नक्सली हिंसा की 5960 घटनाएं हुई हैं. इनमें 1221 नागरिक, 455 सुरक्षाकर्मी और 581 नक्सली मारे गए है. नोटबंदी के बाद माना जा रहा था कि नक्सलियों की कमर टूट गई है, लेकिन सुकमा की घटना ने एक बार फिर नक्सल हिंसा को सुलगा दिया है. बताया जा रहा है कि पुलिस की ग्राउंड इंटेलिजेंस कमजोर पड़ती जा रही है.

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छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुई नक्सली वारदात
छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुई नक्सली वारदात

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छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुई नक्सली वारदात 25 जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया है. पिछले 5 साल में नक्सली हिंसा की 5960 घटनाएं हुई हैं. इनमें 1221 नागरिक, 455 सुरक्षाकर्मी और 581 नक्सली मारे गए है. नोटबंदी के बाद माना जा रहा था कि नक्सलियों की कमर टूट गई है, लेकिन सुकमा की घटना ने एक बार फिर नक्सल हिंसा को सुलगा दिया है. बताया जा रहा है कि पुलिस की ग्राउंड इंटेलिजेंस कमजोर पड़ती जा रही है.

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय से जानकारी मिली है कि साल 2012 से 28 अक्टूबर 2017 तक नक्सली हिंसा के चलते देश में 91 टेलीफोन एक्सचेंज और टावर को निशाना बनाया गया. 23 स्कूल भी नक्सलियों के निशाने पर रहे। साल 2017 में 28 फरवरी तक 181 घटनाएं हुई हैं. इनमें 32 नागरिक मारे गए, 14 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, 33 नक्सली मारे गए. इस साल नक्सलियों ने 2 टेलीफोन एक्सचेंज और टावर को निशाना बनाया.

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छत्तीसगढ़ में आईजी एस.आर.पी. कल्लूरी के नाम से नक्सली खौफ खाते हैं. उन्होंने बस्तर रेंज में पिछले दो वर्षों के अंदर कई नक्सल विरोधी अभियान चलाए. इसकी वजह से बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. कल्लूरी के बारे में बताया जाता है कि वे बेहद सक्रिय अधिकारी हैं. नक्सल विरोधी अभियानों में रात-रात भर पैदल चलकर हिस्सेदारी करते हैं. इस बात की भी चर्चा है कि कल्लूरी को बस्तर से हटाए जाने के बाद नक्सली फायदा उठा रहे हैं.

एक बार फिर बस्तर में पुलिस के इंटेलिजेंस फेल्योर की खबरें आ रहीं हैं. नक्सलियों के हर मूवमेंट पर नजर रखने के लिए बस्तर में एक बड़े अमले के साथ एसआईबी सक्रिय है. इसका जिम्मा है सुरक्षा जवानों को नक्सलियों की सूचनाएं देना है. इसी इनपुट के बाद सुरक्षा बलों को सर्चिंग, रोड ओपनिंग और एरिया डॉमिनेशन के ऑपरेशन में भेजा जाता है. बताया जा रहा है कि लगातार तबादलों से इंटेलिजेंस में महारत रखने वाले अफसर पुलिस मुख्यालय पहुंच गए.

यह भी दावा किया जा रहा है कि कि पिछले कुछ दिनों से पुलिस की ग्राउंड इंटेलिजेंस कमजोर पड़ रही थी. इस काम में माहिर रहे अफसरों, कर्मचारियों को पीएचक्यू पदस्थ किया जाने लगा था. नक्सली इसका फायदा उठाकर अपनी रणनीति बनाने लगे. नक्सलियों ने प्लान को अंजाम देने के लिए अपने महिला विंग के साथ स्थानीय ग्रामीण महिलाओं की भी मदद ली. नक्सलियों के इस मूवमेंट का फोर्स के पास कोई भी इनपुट नहीं था. इंटेलिजेंस विंग बस अपनी ड्यूटी कर रहा था.

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नक्सलियों की बड़ी वारदातें
11 मार्च 2017: भेज्जी में हमला, 11 जवान शहीद
30 मार्च 2016: दंतेवाड़ा के मालेवाड़ा में 7 जवान शहीद
28 फरवरी 2014: दंतेवाड़ा के कुआकोंडा थाना क्षेत्र में रोड ओपनिंग के लिए निकले जवानों पर हमला, 5 शहीद
11 मार्च 2014: टाहकवाड़ा में 20 जवान शहीद
मई 2013: झीरम में कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत 32 लोगों को मारा
12 मई 2012: सुकमा में दूरदर्शन केंद्र पर हमला, 4 जवान शहीद
जून 2011: दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट, 10 पुलिसकर्मी शहीद
6 अप्रैल, 2010: सुकमा में नक्सलियों ने खून की होली खेलते हुए 76 सीआरपीएफ जवानों को मौत की नींद सुला दिया

 

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