उत्तर प्रदेश के बांदा में सवर्णों के उत्पीड़न से परेशान एक दलित परिवार ने धर्म परिवर्तन की चेतावनी दी है. आरोप है कि धर्म परिवर्तन की चेतावनी देने के बाद स्थानीय पुलिस दलित परिवार के घर पहुंची और उन्हें बेघर करने की धमकी भी दी.
धर्म परिवर्तन की चेतावनी देने के कुछ ही घंटे बाद ही बिसंडा थानाध्यक्ष आरके पटेल अन्य पुलिसकर्मियों के साथ शिकायतकर्ता परिवार के घर पहुंचे और घर में मौजूद बच्चों पर दबाव बनाने की कोशिश की. जानकारी के मुताबिक, पुलिस जब उनके घर पहुंची, उस समय घर में सिर्फ नाबालिग सदस्य ही मौजूद थे.
जानकारी के मुताबिक, लेखपाल और राजस्व निरीक्षक को साथ लेकर स्थानीय पुलिस दलित परिवार के घर पहुंची थी और घर की नापी करवाई. परिवार की एक 16 साल की लड़की ने बताया कि पुलिस ने घर की नापी करवाने के बाद उन्हें बेघर करने की धमकी दी और उल्टे-सीधे सवाल कर उन्हें जलील भी किया.
इस मामले में अपर जिलाधिकारी गंगाराम गुप्ता और अपर पुलिस अधीक्षक लाल भरत कुमार पाल ने कहा कि धर्म परिवर्तन चेतावनी और अपराध की जांच पुलिस बबेरू पुलिस क्षेत्राधिकारी ओमप्रकाश को सौंपी गई है. किसी भी दशा में दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.
परिवार ने धर्म परिवर्तन की लिखित चेतावनी दी
दलित परिवार के सभी बालिग सदस्यों ने शुक्रवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को हिंदू धर्म त्यागने की लिखित चेतावनी दी. दलित परिवार के मुखिया संतोष कोरी ने अपने कुनबे के साथ जिला मुख्यालय जाकर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को सवर्णों के कथित उत्पीड़न से तंग आकर लिखित रूप से हिंदू धर्म त्यागने की चेतावनी दी.
संतोष कोरी ने अधिकारियों से शिकायत की कि उनका घर छीनने की नीयत से एक सवर्ण परिवार ने उनके परिवार पर गुरुवार को हमला किया. उन्होंने कहा कि अगर आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी और मामले में लापरवाही बरतने वाले स्थानीय पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न हुई तो उनका 24 सदस्यीय परिवार धर्म परिवर्तन कर लेगा.
सवर्णों के हमले में दलित परिवार की 4 महिलाएं घायल
दलित परिवार बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र में पड़ने वाले तेंदुरा गांव का रहने वाला है. दलित परिवार का आरोप है कि सवर्णों के मोहल्ले में वह अकेला दलित परिवार है, जिसके चलते सवर्ण उन्हें बेघर करने की साजिश रच रहे हैं.
गुरुवार को सवर्णों के हमले में परिवार की 4 महिला सदस्य घायल हो गई थीं, जिसमें 58 साल की एक बुजुर्ग महिला भी शामिल हैं. हमले के वक्त घर में सिर्फ महिलाएं ही मौजूद थीं और हमलावरों में दो महिलाएं भी शामिल थीं.
'पुलिस ने नहीं दर्ज की FIR'
पीड़ित परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस आरोपियों का ही पक्ष ले रही है. संतोष कोरी ने आरोप लगाया है कि पुलिस चौकी ओरन के उपनिरीक्षक ने आरोपियों की मदद करते हुए उनकी प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की. इतना ही नहीं पुलिस ने आरोपी पक्ष से अब तक पूछताछ तक नहीं की है.
उनका यह भी आरोप है कि आरोपियों ने करीब बीस साल पहले उसके परिवार के बंदरा, सेवका, चंद्रपाल, मइयादीन और हेलवइया कोरी को उनके घरों से निकालकर कब्जा कर लिया है और उसी जमीन पर खुद घर बनाकर रह रहा है. अब वे उसका भी घर छीनना चाहते हैं .
'सबका साथ, सबका विकास का नारा खोखला'
उधर, लखनऊ में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार में 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा देने की बात बिल्कुल खोखली है, दलितों का उत्पीड़न चरम सीमा तक पहुंच गया है. भाजपा को इसका खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना होगा.'