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गुजरात: थाने में दलित आरोपी से पुलिसवालों का जूता चटाने का आरोप

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के अमराईवाड़ी इलाके में एक दलित के साथ थाने में सनसनीखेज घटना घटी है. पीड़ित शख्स का आरोप है कि थाने में अपनी जाति बताने पर 15 पुलिसवालों ने उसे जूता चटाया. उसे एक सिपाही से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

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अहमदाबाद के अमराईवाड़ी इलाके की घटना
अहमदाबाद के अमराईवाड़ी इलाके की घटना

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गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के अमराईवाड़ी इलाके में एक दलित के साथ थाने में सनसनीखेज घटना घटी है. पीड़ित शख्स का आरोप है कि थाने में अपनी जाति बताने पर 15 पुलिसवालों ने उसे जूता चटाया. उसे एक सिपाही से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यह घटना 29 दिसंबर की है. पीड़ित ने इस बाबत केस दर्ज कराया है.

जानकारी के मुताबिक, अहमदाबाद के अमराईवाड़ी थाने में हर्षद जाधव नामक शख्स ने केस दर्ज कराया है. इसके मुताबिक, 28 दिसंबर की रात को एक सिपाही से हुई मारपीट के मामले में पुलिस उसे थाने लेकर गई थी. अगले दिन उससे उसकी जाति पूछी गई. उसने खुद को दलित बताया, तो उसे सिपाही के पैर छूकर माफी मांगने को कहा गया.

बताया जा रहा है कि पीड़ित ने झुककर माफी मांगी, तो उसे 15 पुलिसवालों के जूते चाटने को कहा गया. मारपीट के आरोप में हर्षद को 29 दिसंबर को कोर्ट से जमानत मिल गई. पुलिस इंस्पेक्टर ओएम देसाई ने बताया कि हर्षद की शिकायत पर एक सिपाही पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है. इस मामले की जांच की जा रही है.

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उधर, डीसीपी गिरीश पंड्या ने हर्षद के देरी से लगाए गए आरोप पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि शिकायत करने वाले को एक सिपाही पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 29 दिसंबर को जब उसे कोर्ट में पेश किया गया, तब उसने जज के सामने इस बारे में कुछ क्यों नहीं कहा था. उसके बाद भी वह दो दिनों तक चुप रहा था.

बताते चलें कि यह मामला उस वक्त सामने आया है, जब दलितों के कार्यक्रम को लेकर पुणे में भड़की जातीय हिंसा से महाराष्ट्र झुलस रहा है. पुणे में भीमा-कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर 1 जनवरी को दलितों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर हिंदुवादी संगठनों द्वारा हिंसक हमले किए गए थे.

इस कार्यक्रम में आए दलितों की गाड़ियां जला दी गईं और उन्हें मारापीटा गया. इस हमले में एक की मौत हो गई. हिंसा से गुस्साए दलित समूहों ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया. मुंबई को पूरी तरह से ठप्प कर दिया. इसके बाद महाराष्ट्र जातीय हिंसा की आग के शोलों में झुलस गया. इसका असर ये पूरे प्रदेश में देखने को मिला है.

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