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कासगंज: संगीनों के साए में आज होगी दलित जोड़े संजय-शीतल की शादी

आखिरकार आज वह दिन आ गया, जब हाथरस के रहने वाले संजय जाटव कासगंज की रहने वाली शीतल से शादी करेंगे. हालांकि संजय और शीतल को संगीनों के साए में सात फेरे लेने होंगे.

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कासगंज में घर पर मेहंदी लगवाती शीतल (तस्वीर साभार: संजय कुमार)
कासगंज में घर पर मेहंदी लगवाती शीतल (तस्वीर साभार: संजय कुमार)

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उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक दलित की शादी का मामला पिछले कई महीनों से बेहद चर्चा में रहा. सवर्णों की धमकी के चलते उनकी शादी में कई बार अड़चनें आईं. आखिरकार आज वह दिन आ गया, जब हाथरस के रहने वाले संजय जाटव कासगंज की रहने वाली शीतल से शादी करेंगे. हालांकि संजय और शीतल को संगीनों के साए में सात फेरे लेने होंगे.

पुलिस प्रशासन ने संजय और शीतल की शादी के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. संजय और शीतल की शादी शांतिपूर्वक निपटे, इसके लिए प्रशासन की ओर से सुरक्षा में एक प्लाटून PAC और 100 के करीब पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

इसके अलावा SDM, ASP और CO सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को मॉनिटरिंग करते रहने के लिए कहा गया है. ऐसे में आज कासगंज का निजामपुर इलाका संगीनों के साए में इस शादी का जश्न मनाएगा.

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दलित दूल्हा-दुल्हन का परिवार अभी भी दहशत में

प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बीच भी दूल्हा और दुल्हन के परिवार वाले डरे हुए हैं. शादी की तैयारियों में लगे परिवार की ये तस्वीरें देखकर भी आप इसे समझ सकते हैं कि किस तरह दुल्हन दबंगों के खौफ के बीच मेहंदी लगवा रही है. प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद दूल्हा और दुल्हन के परिवार वालों को दबंगों का खौफ सता रहा है, इसलिए उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं.

सवर्णों ने जताई थी इस पर आपत्ति

संजय जाटव और शीतल की शादी को लेकर सवर्णों ने अपने मोहल्ले से बारात निकलने को लेकर आपत्ती जताई थी. इसके अलावा सवर्ण समुदाय के लोग दलित युवक के घोड़ी पर बारात निकालने के भी खिलाफ थे.

सवर्णों की धमकी को देखते हुए संजय ने स्थानीय पुलिस से संपर्क कर बारात निकालने की अनुमति मांगी थी, लेकिन पुलिस ने अनुमति देने से मना कर दिया था. पुलिस का कहना था वह इलाका सवर्णों का है. ऐसे में दलित के वहां बारात निकाले जाने से वहां हिंसा हो सकती है.

20 अप्रैल को होनी थी शादी

संजय अपनी बारात निकालने के इस विवाद को कोर्ट तक लेकर गए. कोर्ट और आला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों में समझौता भी हो गया. समझौते के तहत एक नक्शा पास किया गया , जिस रास्ते से बारात होकर गुजरनी थी.

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इसके अलावा बारात चढ़ाने को लेकर कुछ नियम-शर्तें भी तय की गई थीं, जिन्हें दोनों पक्षों ने मान भी लिया था. हालांकि, इन सबके बावजूद 20 अप्रैल को संजय-शीतल की शादी नहीं हो सकी थी.

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