विमान अपहरण की घटनाओं को लेकर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. अब से ऐसी घटनाओं के दौरान किसी व्यक्ति की मौत होने की स्थिति में विमान के अपहरणकर्ताओं को मौत की सजा दी जाएगी. इस नये कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि केंद्र इस तरह के अपराध की जांच एनआईए को सौंप सकता है.
नए विमान अपहरण निरोधक कानून के तहत अब अपहर्ताओं के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. साथ ही इस तरह के मामलों की जांच अब केंद्र सरकार एनआईए से करा सकेगी. नये कानून में कोई व्यक्ति शब्द का विस्तार किया गया है. जिसमें मौजूद सुरक्षा कर्मी या सहयोगी कर्मचारी की मौत को भी शामिल किया गया है.
इस नए कानून को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दे दी है. पुराने कानून में अपहर्ताओं को बंधकों की मौत होने की स्थिति में मौत की सजा दी जा सकती थी. जैसे कि विमान के विमान चालक दल के सदस्य, यात्री और सुरक्षाकर्मी की मौत हो जाने पर कड़ी सजा मिलती थी.
अपहरण के अन्य मामलों में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा और जुर्माने के अलावा उसकी चल-अचल संपति को जब्त करने का दंड मिलता था. मगर हाल ही में जारी एक अधिसूचना के मुताबिक अपहरण निरोधक कानून 2016 को राष्ट्रपति ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी.
नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने 1982 के अपहरण निरोधक कानून को वापस लेने और उसमें बदलाव करने के लिए 17 दिसम्बर 2014 को राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया था. उसी के बाद यह नया कानून वजूद में आ पाया है.