दिल्ली में 8 महीने की बच्ची के संग रेप किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच शीघ्र पूरी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस बाबत पूरी तफसीली रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है कि देश भर में पॉस्को एक्ट के तहत कितने मुकदमें कब से लंबित हैं. साथ ही जांच में अगर समय लग रहा है, तो उसकी वजह क्या है?
केंद्र सरकार की ओर से एएजी नरसिंहन ने कोर्ट को बताया कि बुधवार शाम को बच्ची को एम्स में भर्ती किया गया है. उसका एक ऑपरेशन भी कलातिशरण अस्पताल में किया गया और अब एम्स में उसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. दिल्ली विधि सहायता अधिकरण यानी DALSA की ओर से पीड़ित बच्ची के परिजनों को 75 हजार रुपये का फौरी मदद दी गई है.
जब याचिकाकर्ता ने ऐसे मामलों की जांच में तीन साल तक का वक्त लगने की बात कही, तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि POCSO मामले के तहत जांच पूरी करने में कितना वक्त लगना चाहिए? कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ता को POCSO एक्ट के तहत देश भर में कितने ट्रायल लंबित हैं. इसका ब्यौरा सारणीबद्ध करके देने को कहा. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को तय की है.
AAG ने कोर्ट को बताया कि एम्स के दोनों डॉक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया कि बच्ची की सर्जरी की गई थी और अब वो बेहतर है. बुधवार को इस मामले की पहली सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि एम्स के दो डॉक्टर बच्ची की सेहत की जांच करेंगे और जरूरत पडने पर एम्स में भर्ती करेंगे.
ये था पूरा मामलादिल्ली की शकूरबस्ती में बीते रविवार को आठ महीने की बच्ची के रेप किए जाने का मामला सामने आया था. इस मामले में पुलिस ने बच्ची के चचेरे भाई (28 साल) को गिरफ्तार किया था. बच्ची की मां जब रविवार रात काम से घर लौटीं, तब उन्हें इस घटना का पता चला था.
जख्मी हालत में बच्ची को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. बच्ची की सर्जरी भी की गई है. पीड़ित बच्ची के पिता मजदूरी करते हैं और मां घरों में साफ-सफाई का काम करती हैं.