दिल्ली के चाणक्यपुरी में कांग्रेस नेता करण सिंह के आवास पर तैनात एक पुलिस कर्मी ने खुद को गोली मार ली है. गंभीर हालत में पुलिस कर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि गोली बंदूक से कैसे चली. कहीं पुलिसकर्मी ने जानबूझकर तो गोली नहीं मारी, या लापरवाही का मामला है.
पुलिस मामले की जांच कर कर रही है. गोली लगने के बाद की तत्काल एंबुलेंस बुलाकर घायल पुलिसकर्मी को इलाज के लिए अस्पतला ले जाया गया है.
इससे पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता कर्ण सिंह तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार को सतर्कता बरतने की सलाह दी थी. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35 ए और 370 हटाए जाने की सुगबुगाहट के बीच जम्मू-कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह के पुत्र डॉक्टर कर्ण सिंह ने कहा था कि सरकार इस मामले पर गंभीरता से कदम उठाए और सतर्कता बरते.
Delhi: A police personnel, deployed at the residence of Congress leader Karan Singh in Chanakyapuri, has been admitted to a hospital after he allegedly accidentally shot himself. Investigation is underway.
— ANI (@ANI) August 5, 2019
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्याधिकारी, सदरे रियासत और राज्यपाल रहे 88 वर्षीय डॉक्टर सिंह ने कहा था कि इन पर सावधानी बरती जाए, क्योंकि इनमें कानूनी, राजनीतिक, संवैधानिक और भावनात्मक कारक शामिल हैं. कर्ण सिंह ने कहा था कि इनकी पूरी समीक्षा की जानी चाहिए.
केंद्र और राज्य सरकार के संबंध से भी संवेदनशीलता का समीकरण बनता है. डॉक्टर सिंह ने कहा कि इस समस्या के चार अहम पहलू हैं. सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय पहलू जुड़ा है, क्योंकि प्रदेश का 45 फीसदी क्षेत्र और 30 फीसदी आबादी (26 अक्टूबर 1947 से) विगत वर्षों में निकल चुकी है.
कर्ण सिंह ने पाकिस्तान के साथ चीन का भी नाम लेते हुए कहा थ कि दोनों देशों ने हमारा क्षेत्र हथिया लिया है. हम इनकार की मुद्रा में रह सकते हैं और हर बार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की बात कर सकते हैं, लेकिन गिलगित, बाल्टिस्तान और उत्तरी क्षेत्रों, मुख्य रूप से अक्साई चीन और काराकोरम के पार के क्षेत्र से सटी शाक्सगम और यरकंद नदी घाटी को छोड़ दिया जाता है.
डॉक्टर सिंह ने कहा था कि दरअसल 1963 तक अंतिम हिस्से को पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर का हिस्सा माना जाता था. यह कहना आसान है कि कश्मीर हमारा है, लेकिन 50 साल से मैं दिल्ली में हूं और मैंने इस बदनसीब प्रदेश के दर्द को दिल्ली और भारत में नहीं देखा. सिर्फ दिखावटी प्रेम प्रदर्शित किया जाता रहा है.