दिल्ली उच्च न्यायालय ने सौतेली बेटी से बार-बार रेप करने वाले और उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने वाले एक व्यक्ति की 10 साल की कैद की सजा बरकरार रखी है. अदालत ने कहा कि आरोपी ने नाबालिग लड़की के मासूमियत को रौंदते हुए उसके अकेलेपन का फायदा उठाया है.
न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने दोषी की अपील खारिज कर दी. उसने पिछले साल एक निचली अदालत से मिली 10 साल की कैद की सजा के खिलाफ अपील की थी. निचली अदालत ने उसे आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत दोषी ठहराया था. पीड़िता की मां ने अपने पति के खिलाफ केस दर्ज कराया था.
अदालत ने कहा कि पीड़िता करीब 13 साल की लड़की थी. उसके अपने ही सौतेले पिता ने उसका शोषण किया. उसकी मासूमियत और अकेलेपन का फायदा उठाते हुए कई बार रेप किया. पुलिस ने बताया कि पीड़िता की मां के बयान पर साल 2012 में इस व्यक्ति के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात का भी जिक्र किया कि पीड़िता ने निचली अदालत में बयान दिया था कि उसकी मां की अनुपस्थिति में उसका सौतेला पिता दो साल से उसका यौन शोषण कर रहा था. उसकी मां एक निजी कंपनी में काम करती थी, जिसकी वजह से उसे घर से बाहर रहना पड़ता था.