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दिल्लीः किडनी रैकेट का पर्दाफाश, महिला समेत चार लोग गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अवैध किडनी ट्रांस्प्लान्टेशन रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस रैकेट से जुड़े चार लोगों को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वे आंध्र प्रदेश के एक मरीज को जयपुर के एक डोनर की किडनी लगाने की तैयारी कर रहे थे. इस काम के लिए डोनर की फर्जी आईडी बनाई गई थी.

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पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन कर रही है
पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन कर रही है

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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अवैध किडनी ट्रांस्प्लान्टेशन रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस रैकेट से जुड़े चार लोगों को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया, जब वे आंध्र प्रदेश के एक मरीज को जयपुर के एक डोनर की किडनी लगाने की तैयारी कर रहे थे. इस काम के लिए डोनर की फर्जी आईडी बनाई गई थी.

ज्वाइंट सीपी प्रवीर रंजन ने बताया कि इस किडनी रैकेट के तार कई अन्य शहरों तक फैले हुए हैं, जो किडनी रेसीपियेंट और डोनर्स की डील करवा कर इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं. दरअसल, इस मामले का खुलासा क्राइम ब्रांच की टीम ने जयपुर के 24 वर्षीय युवक जयदीप शर्मा के पकड़ में आने के बाद किया. कुछ दिन पहले इंटरनेट सर्फ करते समय जयदीप को कुछ क्लू मिले थे कि इंटरनेट पर किडनी खरीदने और बेचने वालों का एक रैकेट एक्टिव है.

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जयदीप ने इसे चैक करने के लिए संपर्क किया तो पाया कि इस रैकेट के तार दिल्ली से जुड़े हैं. रैकेट के लोगों ने अगले कुछ महीने तक उसे लगातार फोन पर संपर्क कर ये चैक किया कि कहीं वो पुलिस का कोई ख़बरी तो नहीं है. जब उन्हें ये यकीन हो गया कि जयदीप जयपुर का एक सीधा साधा नौजवान है, तो उन लोगों ने उसे दिल्ली बुलाया.

ज्वाइंट सीपी प्रवीर रंजन के मुताबिक उन लोगों ने जयदीप को दिल्ली बुलाकर हौजरानी इलाके के एक मकान में रुकवा दिया. वहां उस जैसे और भी लोग मौजूद थे. जहां सुलेखा पांडा नाम की एक महिला उन सभी लोगों की देखरेख करती थी. जो लोग किडनी डोनेट करने को तैयार होते थे, वहीं उन लोगों को ट्रेनिंग देती थी. इतना ही नहीं इस दरम्यान, डोनर को कई मॉल्स में उस परिवार से मिलने के लिए बुलाया जाता, जिनके परिवार के सदस्य को किडनी लेनी होती है.

ज्वाइंट सीपी ने बताया कि जयदीप को बाकायदा किडनी खरीदने वाले परिवार जैसा हुलिया दिया गया, बातचीत की ट्रेनिंग दी गई. किडनी रेसीपियंट फैमिली की बातचीत जैसी शैली भी बताई गई. यहां तक की उसके पूरे फर्जी दस्तावेज बनाएं गए. जिनमें मार्कशीट तक शामिल है. जिसमें उसे तेलुगु विषय में भी पास दिखाया गया है. क्योंकि किडनी खरीदने वाला परिवार आंध्रा का था. यहां तक की उसकी फोटो मोर्फ करके किडनी लेने वाले परिवार की फैमिली फोटो में उसे जोड़ा गया.

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जेसीपी के अनुसार तकरीबन 40 दिनों की डील के बाद अचानक एक दिन जयदीप को फोन कर बताया गया कि उसे बत्रा अस्पताल में उस रोज ऑपरेट किया जाएगा. ठीक यही वक्त था जब क्राइम ब्रांच ने अस्पताल में रेड की और पूरे प्रोसेस को बीच में रोककर किडनी की खरीद फरोख्त के इस रैकेट का भंडाफोड़ कर दिया. अस्पताल से जयदीप के बनाएं गए तमाम फर्जी दस्तावेज ज़ब्त किए गए. इस मामले में पुलिस ने एक महिला समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है.

दिलचस्प बात तो ये है कि किडनी के दलाल किडनी का सौदा तो 40 लाख में करते थे लेकिन डोनर को महज चार लाख मिलने थे, जबकि बाकी पैसा बिचौलियों में बंट जाता था. पुलिस के मुताबिक अस्पताल में जयदीप की किडनी ट्रांसप्लाट करने की प्रक्रिया से पहले एक कमेटी ने उसका इंटरव्यू किया था. जिसमें उसने जानबूझ कर गलत जवाब दिए थे. लेकिन बावजूद इसके अस्पताल की कमिटी ने उसे किडनी डोनेट करने के लिए फिट घोषित कर दिया था. जिससे उनकी मिलीभगत भी साबित होती है.

हालांकि अब तक इस खेल में कोई डॉक्टर या अस्पताल का स्टाफ नहीं पकड़ा गया है. लेकिन पुलिस को यकीन हैं कि उनकी मिलीभगत के बिना ये खेल मुमकिन नहीं है. पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही है. साथ ही परिवार के रोल की भी पड़ताल की जा रही है. जिसने किडनी के लिए मोटी रकम चुकाई थी. हौजरानी के पते से पुलिस को जो अन्य डोनर्स मिले हैं. उन्हें इस केस में गवाह बनाया जा रहा है. जिनमें से एक अन्य किडनी डोनेट कर भी चुका है.

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