देश की राजधानी दिल्ली की लाइफ लाइन दिल्ली मेट्रो सुसाइड प्वाइंट बनती दिख रही है. आए दिन मेट्रो ट्रैक पर आत्महत्या और इसकी कोशिश की खबरें सामने आती रहती हैं. आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2018 से लेकर मई 2019 तक 25 लोगों ने मेट्रो स्टेशन के अंदर आत्महत्या करने की कोशिश की. इनमें से कई की मौत हो चुकी है. आंकड़े यह भी बताते हैं कि साल 2014 से 2018 तक 80 से ज्यादा लोग मेट्रो स्टेशन के अंदर आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं. ज्यादातर घटनाएं ब्लू लाइन मेट्रो ट्रैक पर सामने आई हैं.
दिल्ली मेट्रो ट्रैक पर बढ़ते आत्महत्या के मामले को देखते हुए मेट्रो प्रशासन ने प्लेटफार्म में बैरियर गेट्स लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद दिल्ली मेट्रो के कई स्टेशन पर मजबूत शीशे के गेट लगाए गए हैं. ये गेट तभी खुलते हैं जब मेट्रो ट्रेन प्लेटफार्म पर आ जाती है. इससे ट्रेन के सामने पटरी पर कूदने की संभावनाएं मेट्रो स्टेशन पर बेहद कम हो चुकी हैं. हालांकि अभी तक सभी मेट्रो स्टेशन पर इस तरह के प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर नहीं लगाए गए हैं. दो दिन पहले ही दिल्ली के झंडेवाला मेट्रो स्टेशन पर एक 40 वर्षीय महिला ने मेट्रो ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी थी.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
इस तरह की घटनाओं पर जब 'आज तक' ने मैक्स हॉस्पिटल के सायकेट्री विभाग की कंसलटेंट सौम्या मुद्गल से बात की तो उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोग मेट्रो स्टेशन को आत्महत्या करने के लिए इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह उनकी आसानी से पहुंच में है. उन्हें लगता है कि वहां वे आत्महत्या करने में सफल हो जाएंगे. सौम्या के मुताबिक लोगों में बढ़ता डिप्रेशन इस तरह की घटनाओं को और बढ़ाता है. ऐसे में काउंसलिंग सेंटर्स और हेल्पलाइन नंबर की जरूरत है जो डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की परेशानी समझ सके और उनकी मदद कर सके.