दिल्ली पुलिस ने शातिर लुटेरों के एक गैंग का पर्दाफाश किया है. गैंग के बदमाश बड़ी चालाकी से अपनी बाइक गायब कर उसकी चोरी की एफआईआर दर्ज करवाते. उसके बाद बिना किसी डर के अपनी उसी बाइक से लूट की वारदात को अंजाम देते. इससे पुलिस को वारदात में खुद उनके शामिल होने का शक ही नहीं होता था. लेकिन अंततः लुटेरे अपने ही जाल में फंस गए.
हर बार लुटेरे वारदात को अंजाम देने के बाद वो बाइक को सड़क के किनारे छोड़ देते. फिर उनमें से ही कोई सड़क के किनारे लावारिस बाइक की सूचना 100 नम्बर पर पुलिस को देता और लुटेरे अपनी बाइक शान से पुलिस से वापस ले आते.
लेकिन 16 नवंबर को किस्मत इस गैंग के साथ नहीं थी. अपनी पूरी साजिश के तहत गैंग के एक बदमाश मंजीत ने अपनी बाइक चोरी की एफआईआर दर्ज करा दी. इसके बाद गैंग के तीन बदमाश उसी बाइक से लूट को अंजाम देने खजुरी इलाके में एक मोबाइल के शोरूम में पहुंचे. सबने मास्क पहन रखा था. मिनटों में ही बदमाशों ने पूरे शोरूम के मोबाइल बैग में भर लिए और भागने लगे. लेकिन तभी शोरूम के मालिक विकास ने उनको पकड़ने की कोशिश की, जिसके बाद एक बदमाश ने गोली चला दी. गोली विकास की जगह एक बदमाश के ही हाथ में लग गई. गोली की आवाज सुनकर लोग चौकन्ने हो गए और पकड़े जाने के डर से बदमाश वहां से भाग निकले. वारदात के थोड़ी देर बाद ही पुलिस को लूट में इस्तेमाल बाइक सड़के के किनारे मिल गई. रजिस्ट्रेशन नम्बर से जब पुलिस मालिक मंजीत के पास पहुंची तो उसने एफआईआर की कॉपी पुलिस को दिखा दी.
इधर पुलिस की एक टीम अस्पतालों के चक्कर काट रही थी. पुलिस को इस बात का पूरा अंदेशा था कि बदमाश अपने साथी के इलाज के लिए दूर नहीं गए होंगे, क्योंकि गोली लगने की वजह से खून ज्यादा बह रहा था. पुलिस का संदेह सही साबित हुआ और पुलिस ने लूट के महज कुछ घंटे बाद ही जीटीबी अस्पताल से प्रदीप नाम के एक बदमाश को गिरफ्तार कर लिया. प्रदीप ने लूट की पूरी कहानी और अपने साथियों के नाम बता दिए.
पुलिस को उस वक्त हैरत हुई जब प्रदीप ने पुलिस को बताया कि लुटेरों में एक का नाम मंजीत है. वही मंजीत जिसकी बाइक लूट में शामिल थी, जबकि वह दावा कर रहा था कि उसकी बाइक चोरी हो चुकी है. इसके बाद पुलिस ने फौरन मंजीत को गिरफ्तार लिया. पुलिस ने दोनों बदमासों के कब्जे से 23 मोबाइल बरामद किए हैं. दो अन्य फरार बदमाशों के पास लूट का बाकी माल है.