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डेरे की तलाशी को लेकर हाईकोर्ट सख्त, जारी किया कारण बताओ नोटिस

डेरा सच्चा सौदा सहित पंजाब और हरियाणा के दूसरे डेरों के प्रति राज्य सरकारों के नरम रुख को देखते हुए हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है. मंगलवार को डेरे की तलाशी को लेकर हुई देरी और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना को लेकर दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

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 मुख्य सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी
मुख्य सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी

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डेरा सच्चा सौदा सहित पंजाब और हरियाणा के दूसरे डेरों के प्रति राज्य सरकारों के नरम रुख को देखते हुए हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है. डेरे की तलाशी को लेकर हुई देरी और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना को लेकर दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

हाईकोर्ट ने पूछा कि साल 2014 में डेरों की संदिग्ध गतिविधियों को लेकर जारी किए गए निर्देशों का दोनों ही राज्यों द्वारा पालन क्यों नहीं किया. हाईकोर्ट के वकील महेंद्र सिंह जोशी ने अपनी याचिका के जरिए कोर्ट के संज्ञान में लाया था कि डेरों की तलाशी के आदेशों की पालना नहीं हुई है. इसके परिणाम स्वरुप डेरा सच्चा सौदा हिंसा का मामला सामने आया.

महेंद्र सिंह जोशी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को पार्टी बनाते हुए कोर्ट को बताया था कि सरकार ने राजनीतिक कारणों के चलते डेरा की तलाशी नहीं ली. डेरा में अवैध हथियार जमा होते रहे. इसका नतीजा 25 अगस्त को पंचकूला और सिरसा में हुई हिंसा के रूप में भी देखने को मिला. इसमें तीन दर्जन से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

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उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि सितंबर 2017 में की गई डेरे की तलाशी का फैसला भी देरी से लिया गया. उस वक्त तक डेरा से अवैध हथियार पहले से ही हटाए जा चुके थे. बताते चलें कि हाईकोर्ट में 2014 में पंजाब-हरियाणा सरकारों को नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया था कि वह राज्य में बने डेरों पर नजर रखें, ताकि गैर कानूनी गतिविधि न हो सके.

कोर्ट का यह आदेश रामपाल प्रकरण के बाद आया था. कोर्ट ने भारतीय सेना द्वारा जारी किए गए डेरा सच्चा सौदा में हथियारों के प्रशिक्षण को लेकर जारी किए गए एक अलर्ट का हवाला देते हुए वहां पर कड़ी नजर रखने की बात कही थी, लेकिन हरियाणा सरकार इन आदेशों पर सोती रही. खानापूर्ति के लिए डेरा की तलाशी की बात की गई थी.

हकीकत यह थी की तलाशी लेने गए पुलिसकर्मी डेरा की खुफिया जगहों पर जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की बेंच ने कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि 25 अगस्त की हिंसा का पोस्टमार्टम न हो. तलाशी में कुछ पुख्ता सबूत पेश किए जाएं. इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.

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