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इंटरनेट से नशे का कारोबार चलाने वाला सरगना गिरफ्तार, कई मुल्कों से जुड़े हैं तार

एनसीबी के अनुसार दीपू सालों से नशे के व्यापार में संलिप्त था और अब तक 30 से 40 करोड़ की ड्रग्स का व्यापार कर चुका था. एनसीबी ने देश की अन्य जांच एजेंसियों के सहयोग से दिसंबर 2019 में ऑपरेशन ट्रांस की शुरुआत की थी. एनसीबी ने ऑपरेशन ट्रांस के तहत ही इंटरनेट के जरिए चल रहे इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया.

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दीपू सालों से नशे के व्यापार में संलिप्त था
दीपू सालों से नशे के व्यापार में संलिप्त था

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  • लखनऊ का निवासी है सरगना दीपू सिंह
  • दर्जन भर देशों में फैला था कारोबार

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एक ऐसे ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है, जिसके तार भारत के अलावा दुनिया के कई मुल्कों से जुड़े हुए हैं. एनसीबी ने डार्क नेट पर सक्रिय सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए इसके सरगना को भी गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार सरगना दीपू सिंह उत्तर प्रदेश के लखनऊ का निवासी है.

एमिटी यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट दीपू के साथ ही ब्रिटेन में भी एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है. एनसीबी के अनुसार दीपू सालों से नशे के व्यापार में संलिप्त था और अब तक 30 से 40 करोड़ की ड्रग्स का व्यापार कर चुका था. जानकारी के अनुसार एनसीबी ने देश की अन्य जांच एजेंसियों के सहयोग से दिसंबर 2019 में ऑपरेशन ट्रांस की शुरुआत की थी. एनसीबी ने ऑपरेशन ट्रांस के तहत ही इंटरनेट के जरिए चल रहे इस ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश किया, जो डार्क नेट के माध्यम से दीपू सालों से चला रहा था.

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डार्क नेट पर चल रहे सिंडिकेट को तोड़ना और पकड़ना किसी भी जांच एजेंसी की लिए आसान नहीं होता, लिहाजा इसके लिए एनसीबी ने बाकायदा 26 लोगों की एक टीम तैयार की. एनसीबी के अधिकारियों के मुताबिक केटामीन ट्रोमाडाल नामक ड्रग्स की खरीद-फरोख्त करते यूके में एक शख्स को गिरफ्तार किया गया.

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एनसीबी अधिकारियों के अनुसार जांच में पता चला कि मुंबई के एक फॉरेन पोस्ट ऑफिस से इसी ड्रग्स की खेप ब्रिटेन जाने वाली थी. जानकारी मिलने के बाद उस खेप को बरामद किया गया, जिसमें 9 हजार ड्रग्स की टैबलेट पकड़ी गई. इसके बाद देश के कई शहरों में रेड कर अलग-अलग कई खेप बरामद किया गया और 22 हजार टैबलेट और बरामद की गई. इसी दौरान एनसीबी को डार्क नेट से चल रहे ड्रग्स के धंधे के सरगना का सुराग मिला, जिसके बाद ब्यूरो ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया था.

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बताया जाता है कि डार्क नेट के माध्यम से दिल्ली और लखनऊ से बैठकर दीपू सिंह ड्रग्स की करोड़ों रुपये की डील न केवल भारत, बल्कि दुनिया के करीब दर्जन भर देशों में कर रहा था. एनसीबी के मुताबिक दीपू सिंह ने अपने 2 डार्क नेट एकाउंट से करीब 600 अलग-अलग किस्म के ड्रग्स पार्सल यूरोपियन कंट्री और दूसरे देशों मे भिजवा चुका है,  जिसकी अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 30  से 40 करोड़ रुपये आंकी जा रही है.

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क्या होता है डार्क नेट

डार्क नेट में किसी की पहचान करना आसान नहीं होता. डार्क नेट का इस्तेमाल आज कल दुनिया भर में बड़े-बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है. डार्क नेट पर होने वाली हर डील लोग वर्चुअल करेंसी में ही करते हैं, जिससे कोई भी  एजेंसी इन तक पहुंच न सके. वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में डार्क नेट पर होने वाले तमाम अपराधों में 63 प्रतिशत क्राइम केवल ड्रग्स की खरीद-फरोख्त से जुड़े हैं और देश के ज्यादातर युवा डार्क नेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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ऐसा भी नहीं है कि डार्क नेट पर केवल गैर कानूनी काम ही होता है. देश की कई एजेंसियां डार्क नेट के जरिए कई बड़े आपराधिक मामलों में सुराग भी एकत्रित करती हैं और सुरक्षा पर भी नजर रखती हैं. डार्क नेट का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकन नेवी ने एक ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए किया था.

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